Astrology : घर बनाने और गाड़ी लेने के पहले जान ले अपना कुंडली का चतुर्थ भाव,देता है उत्तम वाहन सुख की जानकारी
Astrology – अपने अच्छे घर और महंगी गाडिय़ों का सपना तो हर कोई देखता है, लेकिन यह सपना बहुत कम लोगों को ही पूरा होता है। कुंडली का चौथा भाव सुख का स्थान होता है और इससे वाहन, मकान, जमीन सहित कई प्रकार के भौतिक धन की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। यदि चतुर्थ भाव में शुभ ग्रह या स्वामी के साथ युति या दृष्टि में शुभ ग्रह हों और चतुर्थ भाव भी शुभ प्रभाव में हो तो शुभ फल प्राप्त होते हैं।
कुछ विशेष बाते
अच्छे वाहन सुख के लिए चतुर्थ भाव में शुभ ग्रहों का होना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं जन्म कुंडली के उन सभी योगों के बारे में जो वाहन सुख प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं।
सबसे पहले वाहन सुख का कारक ग्रह शुक्र है। यदि कुंडली में चतुर्थ भाव, चतुर्थ भाव और शुक्र अच्छी स्थिति में हों तो अच्छा वाहन सुख प्राप्त होता है। चतुर्थ भाव के कारक ग्रह चंद्रमा और बुध हैं।
यदि कुंडली में इनकी स्थिति भी अच्छी हो तो शुभ फलों में वृद्धि होती है। यदि लग्न में द्वितीयेश हो, दशम भाव धन भाव में हो और चतुर्थ भाव में उच्च राशि का ग्रह हो तो अच्छे वाहन सुख की प्राप्ति होती है।
लग्नेश, चतुर्थेश और नवमेश के पारस्परिक केंद्र में रहने से वाहन सुख की प्राप्ति होती है। यदि लग्न और चतुरेश एक साथ लग्न, चतुर्थ या नवम भाव में हों तो इन ग्रहों की दशा या अंतर्दशा में वाहन प्राप्त होता है. शुक्र से सप्तम भाव में होने पर भी वाहन सुख की प्राप्ति होती है।
यदि चतुर्थेश केंद्र में हो और केंद्र का स्वामी लग्न में हो तो बड़े वाहन का योग बनता है। दशम भाव यदि शुभ भाव में हो और शुभ दशम भाव में हो तो भी वाहन सुख की प्राप्ति होती है।
यदि बृहस्पति, शुक्र, चन्द्रमा और चतुरेश एक साथ केंद्र या त्रिभुज में हों तो अच्छा वाहन योग होता है। जातक अनेक वाहनों का स्वामी होता है। नवमेश, दशमेश और लाबेश चतुर्थ भाव में हों तो वाहन योग बनता है।
यदि चतुर्थ भाव नवम भाव में शनि, गुरु और शुक्र के साथ हो और नवम भाव किसी केंद्र या त्रिकोण में हो तो बहुवाहन योग बनता है।