बैल पोला त्यौहार : जाने क्या है बैल पोला का त्यौहार और इसका महत्व ? होती है बैलो की विशेष रूप से पूजा
बैल पोला त्यौहार – भारत उन देशों की सूची में सबसे ऊपर है जहां मवेशियों की पूजा की जाती है। पोला एक ऐसा त्योहार है जिसमें किसान गायों और बैलों की पूजा करते हैं। यह पोला उत्सव/पोला महोत्सव 2022 विशेष रूप से छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग जानवरों खासकर बैल की पूजा करते हैं और उन्हें अच्छे से सजाते हैं। पोला पर्व को बेल पोला के नाम से भी जाना जाता है।
पोला पर्व भादों मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस अमावस्या को पिथोरी अमावस्या भी कहा जाता है। महाराष्ट्र में यह त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर विदर्भ क्षेत्र में इस पर्व को अधिक महत्व दिया जाता है। विदर्भ में बेल पोला को मोथा पोला और दूसरे दिन को तन्हा पोला कहा जाता है।
बेल पोला का पर्व भादों मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस अमावस्या को पिथोरी अमावस्या भी कहा जाता है। इस वर्ष यह पर्व 26-27 अगस्त, 2022 को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।
पोला पर्व का महत्व
भारत एक कृषि प्रधान देश है और अधिकांश किसान खेती के लिए बैलों का उपयोग करते हैं। इसलिए सभी किसान जानवरों की पूजा करते हैं और उन्हें धन्यवाद कहते हैं।
महाराष्ट्र में पोला त्योहार कैसे मनाया जाता है?
इस त्योहार से एक दिन पहले किसान अपने बैलों के गले और मुंह से रस्सी हटाते हैं। इसके बाद उन पर हल्दी, बेसन का पेस्ट लगाया जाता है, तेल से मालिश की जाती है। इसके बाद बैल को गर्म पानी से नहलाया जाता है। कुछ लोग बैलों को पास की नदी या तालाब में नहलाते हैं।
इसके बाद बाजरे से बनी खिचड़ी बैलों को खिलाई जाती है। फिर सांडों को अच्छे से सजाया जाता है और उनके सींगों को रंग से रंगा जाता है। कई जगहों पर बैलों को रंग-बिरंगे कपड़ों और गहनों की माला पहनाई जाती है।
इसके बाद सभी लोग इकट्ठे होकर अपने परिवार के साथ नाचते गाते हैं। इस दिन का मुख्य उद्देश्य सांडों के सींगों में बंधी पुरानी रस्सी को बदलकर नई रस्सी बांधना है।
यह त्योहार दो तरह से मनाया जाता है। एक है बड़ा पोल और दूसरा है छोटा पोल। छोटा पोला में बच्चे मोहल्ले में घर-घर जाकर खिलौना बैल या घोड़ा ले जाते हैं। साथ ही उन्हें कुछ पैसे या उपहार दिए जाते हैं। और दूसरा बड़ा पोला है, जिसमें बैल को सजाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है।