धनिया की उन्नत किस्मे किसानो को कमा के देगी मोटा पैसा, कम समय में बना देगी मालामाल देखे पूरी जानकरी
धनिया की उन्नत किस्मे किसानो को कमा के देगी मोटा पैसा, कम समय में बना देगी मालामाल देखे पूरी जानकरी। धनिया की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा हो सकती है! इसकी खुशबू और स्वाद के कारण इसका इस्तेमाल सब्जियों में मसालों के साथ किया जाता है. बाजार में हरे धनिये और धनिया के बीजों की हमेशा मांग रहती है. ऐसे में धनिया की उन्नत किस्मों की खेती करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. आइए जानें कुछ महत्वपूर्ण किस्मों के बारे में:
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कुम्भराज किस्म
इस किस्म के दाने छोटे होते हैं. पौधों में सफेद रंग के फूल लगते हैं और इनकी लंबाई मध्यम होती है. यह किस्म उकठा रोग और भूतिया रोग के प्रति सहनशील होती है. फसल तैयार होने में 115 से 120 दिन लगते हैं. प्रति एकड़ खेत में इसकी उपज 5.6 से 6 क्विंटल होती है.
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आरसीआर 41 किस्म
इस लंबी किस्म के दाने छोटे होते हैं, गुलाबी रंग के फूल लगते हैं. यह किस्म कली और तना गलित रोगों के प्रतिरोधक है, भभूतिया रोग से लड़ने में सक्षम है, पत्तियों के लिए उपयुक्त है, 0.25 प्रतिशत तेल की मात्रा रखती है और फसल पकने का समय 130 से 150 दिन है. 140 दिनों में प्रति हेक्टेयर इसकी उपज 9 से 11 क्विंटल तक हो सकती है.
सिम्पो एस33 किस्म
इस किस्म के पौधे मध्यम ऊंचाई के होते हैं और दाने बड़े और अंडाकार होते हैं. फसल पकने में 140 से 150 दिन लगते हैं. प्रति एकड़ भूमि पर इसकी खेती करने पर 7.2 से 8 क्विंटल तक की उपज प्राप्त की जा सकती है.
आरसीआर 446 किस्म
यह किस्म कम पानी वाले क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है. इस किस्म के पौधे मध्यम ऊंचाई के होते हैं और शाखाएं सीधी होती हैं. दानों का आकार भी सामान्य होता है. इस किस्म के पौधों में ज्यादा पत्तियां होती हैं. मुख्य रूप से हरे पत्ते प्राप्त करने के लिए इस किस्म की खेती की जाती है. इस किस्म के पौधों में उकठा रोग, तना गलित रोग और भभूतिया रोग का प्रकोप कम होता है. फसल पकने में 110 से 130 दिन लगते हैं. प्रति एकड़ भूमि पर इसकी खेती करने पर 4.1 से 5.2 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.