Mahatma Gandhi Jayanti 2022 : अहिंसा के जनक,जाने गांधीजी की आधुनिक विचारधारा,जनता आज भी कर रहे गांधीजी की इस नियम का पालन

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Mahatma Gandhi Jayanti 2022 – इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। इनके पिता जी का नाम करमचंद गांधी और माता जी का नाम पुतलीबाई था। पिताजी करमचंद गांधी का संबंध पंसारी जाति से था।

Mahatma Gandhi Jayanti 2022

आधुनिक भारतीय चिंतन प्रवाह में गांधी के विचार सार्वकालिक हैं। वे भारतीय उदात्त सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत के अग्रदूत भी हैं और सहिष्णुता, उदारता और तेजस्विता के प्रमाणिक तथ्य भी। सत्यशोधक संत भी और शाश्वत सत्य के यथार्थ समाज वैज्ञानिक भी। राजनीति, साहित्य, संस्कृति, धर्म, दर्शन, विज्ञान और कला के अद्भुत मनीषी और मानववादी विश्व निर्माण के आदर्श मापदंड भी। सम्यक प्रगति मार्ग के चिंह्न भी और भारतीय संस्कृति के परम उद्घोषक भी। गांधी के लिए वेद, पुराण एवं उपनिषद् का सारतत्व ही उनका ईश्वर है और बुद्ध, महावीर की करुणा ही उनकी अहिंसा। सत्य, अहिंसा, ब्रहमचर्य, अस्तेय, अपरिग्रह, शरीर श्रम, आस्वाद, अभय, सर्वधर्म समानता, स्वदेशी और समावेशी समाज निर्माण की परिकल्पना ही उनका आदर्श रहा है।

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Mahatma Gandhi Jayanti 2022,विचारो की परिकल्पना

गांधी के आदर्श विचार उनके निजी तथा सामाजिक जीवन तक ही सीमित नहीं रहे। उन विचारों को उन्होंने आजादी की लड़ाई से लेकर जीवन के विविध पक्षों में भी आजमाया। तब लोगों का कहना था कि आजादी के लक्ष्य में सत्य और अहिंसा नहीं चलेगी। गांधी पर गीता के उपदेशों का व्यापक असर रहा।

वे कहते थे कि हिंसा और कायरता पूर्ण लड़ाई में मैं कायरता की बजाए हिंसा को पसंद करुंगा। मैं किसी कायर को अहिंसा का पाठ नहीं पढ़ा सकता वैसे ही जैसे किसी अंधे को लुभावने दृश्यों की ओर प्रलोभित नहीं किया जा सकता।उन्होंने अहिंसा को शौर्य का शिखर माना। उन्होंने अहिंसा की स्पष्ट व्याख्या करते हुए कहा कि अहिंसा का अर्थ है ज्ञानपूर्वक कष्ट सहना। उसका अर्थ अन्यायी की इच्छा के आगे दबकर घुटने टेक देना नहीं। उसका अर्थ यह है कि अत्याचारी की इच्छा के विरुद्ध अपनी आत्मा की सारी शक्ति लगा देना।

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आज भी हो रहा है इस नियम का पालन

अहिंसा के माध्यम से गांधी ने विश्व को यह भी संदेश दिया कि जीवन के इस नियम के अनुसार चलकर एक अकेला आदमी भी अपने सम्मान, धर्म और आत्मा की रक्षा के लिए साम्राज्य के सम्पूर्ण बल को चुनौती दे सकता है। गांधी के इन विचारों से विश्व की महान विभुतियों ने स्वयं को प्रभावित बताया। आज भी उनके विचार विश्व को उत्प्रेरित कर रहे हैं। लोगों द्वारा उनके अहिंसा और सविनय अवज्ञा जैसे अहिंसात्मक हथियारों को आजमाया जा रहा है।

अंतिम सांस ली

सन 1942 गांधीजी ने भारत छोड़ो आंदोलन चलाया। इस आंदोलन में बच्चे, बूढ़े और जवान सभी शामिल हुए। समस्त देशवासी ने गांधीजी का पूर्ण सहयोग किया। इसके चलते आंदोलन सफल रहा। आंदोलन के भारत की आजादी की नींव रखी गई। वहीं, 5 वर्ष पश्चात 1947 में देश को आजादी मिली। साल में गांधीजी की हत्या कर दी गई।

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