अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस आज – कही दुर्लभ न बन जाये ,6 साल में 184 बाघों की मौत,आपस में लड़ने से हुयी 119 की मौत

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अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस आज – कही दुर्लभ न बन जाये ,6 साल में 184 बाघों की मौत,आपस में लड़ने से हुयी 119 की मौत

घटते कॉरिडोर, प्राकृतिक आवास और बढ़ती संख्या ने बाघों के जीवन को संकट में डाल दिया है। पिछले 6 सालों में मप्र में 184 बाघों की मौत हुई है। इसमें सबसे ज्यादा 119 मौत आपसी लड़ाई (टेरीटोरियल फाइट) में हुई। पोस्टमार्टम में इनकी मौत का कारण अधिक खून बहना, गहरे घाव में संक्रमण होना, मल्टीपल ऑर्गन फैलियर और रीढ़ की हड्डी टूटना बताया गया। वहीं, 56 बाघों की मौत शिकार, ट्रेन व सड़क हादसों में हुई है।

वन विभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी सुदेश बाघमारे का कहना है कि प्रदेश के जंगलों में बाघों के कॉरिडोर विकास के नाम पर अतिक्रमण हो रहा है। सड़क व ट्रेन के ट्रैक बाघों के लिए सुरक्षित नहीं है। इससे बाघों की टेरेटरीज प्रभावित हो रही है। टाइगर रिजर्व व सेंचुरी में बसे गांवों को स्थानीय राजनीति की वजह से विस्थापित करने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है। जगह कम और बाघों की संख्या में बढ़ोतरी होने से इनमें टेरिटोरियल फाइट होना स्वाभाविक है।

हकीकत… बच्चों को बचाने बाघ से भिड़ जाती है बाघिन

पेंच नेशनल पार्क के डॉ. अखिलेश मिश्रा ने बताया कि बाघों के बीच केवल वर्चस्व की लड़ाई ही नहीं होती, बल्कि बच्चों की सुरक्षा के लिए बाघिन भी नए बाघ से भिड़ जाती है। कई बार ताकतवर बाघ, बाघिन से मेटिंग के चक्कर में भी शावकों को मार देता है। मिश्रा ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध कॉलर वाली बाघिन के क्षेत्र में नया नर बाघ पहुंचा था। वह अपने चार शावकों को बचाने उससे भिड़ गई थी। वह गंभीर रूप से घायल हुई थी। जिसे बाद में बचा लिया गया।

टेरिटोरियल फाइट में मौत का कारण- ज्यादा खून बहना

150 बाघों का पोस्टमार्टम और फॉरेंसिक जांच कर चुके स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ के पूर्व डायरेक्टर एबी श्रीवास्तव ने बताया कि फाइट के कारण मरने वाले बाघों का जब पीएम हुआ, इसमें यह हकीकत सामने आई कि अधिक खून बहने से मौत हुई। इसके अलावा घावों में संक्रमण से मल्टी आर्गन फेलियर, रीढ़ की हड्‌डी, नाखून व केनाइन टूटना भी पाया गया है। करंट की वजह से मरने वाले बाघों के आर्गन फेलियर, कॉर्डियक अरेस्ट जैसे कारण भी सामने आए हैं।

बाघों में वर्चस्व को लेकर लड़ाई होती है..

बाघों में वर्चस्व को लेकर अक्सर लड़ाई होती है। यह एक नेचुरल प्रोसेस है। जंगल में बलशाली बाघ अपने प्रतिद्वंदी को मार देता है या खदेड़ देता है। कई बार लड़ाई होने से बाघ जख्मी होकर मर जाता है। ऐसे में बाघ का पोस्टमार्टम एनटीसीए की गाइडलाइन के मुताबिक होता है।

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