Dev Diwali 2022 देव दीपावली आज! जानें क्यों इतना महत्वपूर्ण है गंगा स्नान और दीपदान

Dev Diwali 2022 देव दीपावली या देव दिवाली दिवाली के ठीक 15 दिन बाद मनाई जाती है। कार्तिक पूर्णिमा का यह त्योहार देश के अलग-अलग हिस्सों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन वाराणसी में यह त्योहार बेहद खास होता है. दरअसल, देव दीपावली पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान और दीपदान करने का बड़ा महत्व है. इस दिन दूर-दूर से लोग गंगा नदी में स्नान करने पहुंचते हैं। वैसे तो यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाता है, लेकिन 8 नवंबर को लगने वाले चंद्र ग्रहण के कारण आज यह 7 नवंबर को मनाया जा रहा है।
Dev Diwali 2022
काशी के गंगा घाट पर आते हैं देवी-देवता
यह भी पढ़िए-पहले ही दिन माता टेकरी में उमड़े श्रद्धालु,आज भव्य चुनरी यात्रा में शामिल होंगे CM
मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवता दीपावली मनाने काशी के गंगा घाट पर आते हैं। इसलिए इस दिन गंगा स्नान और दीप दान करने से सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। जीवन में अपार भाग्य, सुख-समृद्धि आती है।
देव दीपावली पर दीपदान का महत्व
कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी के जल में स्नान करके दीपक का दान अवश्य करना चाहिए। दीपदान का अर्थ है पवित्र नदी में दीप जलाना। देव दीपावली के दिन दीपक का दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है। वाराणसी में देव दिवाली मनाने के लिए दूर-दूर से लोग गंगा स्नान और दीपदान करने आते हैं। प्रदोष काल का समय दीपक दान करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस वर्ष देव दिवाली पर दीपदान करने का सबसे शुभ समय सोमवार, 7 नवंबर को शाम 05:14 बजे से शाम 07:49 बजे तक है।
…इसलिए मनाई जाती है देव दिवाली

Dev Diwali 2022
पौराणिक कथाओं के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। त्रिपुरासुर के वध की खुशी में देवताओं ने काशी में अनेक दीपक जलाए। इसीलिए काशी में हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को दिवाली मनाई जाती है। चूंकि यह दिवाली देवताओं द्वारा मनाई जाती थी, इसलिए इसे देव दिवाली कहा जाता है। इसके साथ ही इस पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।