यहाँ हुआ अष्टानिका पर्व की समाप्ति – भगवान श्रीजी की निकाली पालकी शोभायात्रा,गलियों में गूजे जयकारे

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सोनकच्छ। जीवन में मंत्र का बहुत महत्व हुआ करता है। विधान मंडल के अंतर्गत मंत्र जाप का बड़ा महत्व है। लेकिन जो मंत्र मन से जपा जाता है वही मंत्र होता है। यह बात सोनकच्छ जैन मंदिर में चल रहे आठ दिनी अष्ठानिका पर्व के आखिरी दिन समापन अवसर पर जबलपुर से पधारे लल्लन भैयाजी ने कही। उन्होंने कहा कि विधान का समापन हुआ लेकिन भगवान की भक्ति रोजाना होना चाहिए। सवा लाख मंत्रों के जाप से प्रतिष्ठित कलश व मां जिनवाणी को विराजमान किया गया।

जिनवाणी माता को वस्त्र चढ़ाए गए व भगवान महावीर स्वामी की पूजा की गई। प्रतिष्ठाचार्य भैयाजी द्वारा विश्वशांति महायज्ञ किया गया। जिसमें यज्ञ नायक बनने का सौभाग्य पुण्यार्जक परिवार के सुरेश सेठी परिवार को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर मंत्रोच्चार के साथ समाज के महिला-पुरुषों द्वारा विश्व शांति महायज्ञ के समापन पर पूर्ण आहुति दी गई। विश्व शांति के लिए भगवान महावीर से प्रार्थना की गई।

मंडल पर विराजमान सिद्ध कलश पुण्यार्जक परिवार को प्रदान किए गए। महायज्ञ के बाद श्री सिद्धचक्र मंडल विधान पर मंत्रोच्चार के बाद समाजजनों ने पुष्प क्षेपण कर पुण्यार्जन किया। धार्मिक अनुष्ठान के बाद नगर में बैंड बाजों और ढोल के साथ श्रीजी पालकी यात्रा निकाली गई। जिसमें श्रीजी को विराजमान कर नगर भ्रमण कराया गया।यात्रा में महिलाएं सिर पर कलश लिए थी। भक्ति नृत्य के साथ यात्रा पुण्यार्जक परिवार के यहां पहुंची। जहां परिवार द्वारा समाज के साथ श्रीजी की भक्ति कर प्रभावना बांटी गई।

प्रवक्ता रोमिल जैन ने बताया कि आयोजन में सांसद महेंद्र सोलंकी, कवि शशिकांत यादव आदि भी शोभायात्रा में शामिल हुए। सासंद व यादव ने शोभायात्रा में भक्ति नृत्य किया गया। यात्रा पुनः मंदिर परिसर पर पहुंची। जहां श्रीजी के कलशाभिषेक किए गए। समाजाध्यक्ष रविंद्र भुच और ट्रस्ट मंडल पुण्यार्जक परिवार द्वारा आगंतुकों चंदन से तिलक लगाकर धर्म दुप्पटा पहनाकर स्वागत सत्कार किया।

इधर, समाज के ट्रस्ट मंडल व सेठी परिवार के साथ सासंद द्वारा विधानचार्य लल्लन भैया का साफा बांधकर सम्मान किया। इस अवसर सांसद ने जैन धर्म का गुणगान करते हुए कहा कि में जन्म से जैन नहीं तो कर्म से जैन बनूंगा। आयोजन का संचालन महेंद्र पाटौदी ने किया।

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