Top Garlic variety लहसुन की उन्नत किस्में, उपज क्षमता 175 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक!

Top Garlic variety लहसुन की उन्नत किस्में, लहसुन भारतीय खाने का स्वाद बढ़ाता है या यूं कहें कि लहसुन में तड़के के बिना खाने का स्वाद अधूरा है. लहसुन का प्रयोग अचार, चटनी और अन्य व्यंजनों में किया जाता है। लहसुन कई बीमारियों से लड़ने में भी कारगर है। लहसुन के विकास से पहले इसकी हरी कोमल पत्तियों का उपयोग सब्जी बनाने में किया जाता है। देखा जाए तो देश में लहसुन की डिमांड भी काफी ज्यादा है। भारत में लहसुन का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है। ऐसे में किसानों को लहसुन की उन उन्नत किस्मों की बुआई करनी चाहिए, जिनकी उपज अच्छी हो। आज हम इस लेख के माध्यम से किसानों को लहसुन की उन्नत किस्मों की जानकारी देने जा रहे हैं।
Top Garlic variety
इन राज्यों में रबी सीजन में लहसुन की खेती होती है
लहसुन की खेती रबी और खरीफ दोनों मौसमों में जलवायु के अनुसार की जाती है। छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में सितंबर से नवंबर तक रबी सीजन में लहसुन की खेती की जाती है। तमिलनाडु, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में अक्टूबर से नवंबर। लहसुन की खेती अक्टूबर से नवंबर के बीच उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तराखंड में की जाती है।
लहसुन की उन्नत किस्में
जी.1
लहसुन की G.1 किस्म को नेशनल हॉर्टिकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन द्वारा विकसित किया गया है। यह दिखने में आम सफेद लहसुन जैसा ही होता है। इसकी एक गाँठ में 15 से 20 कलियाँ होती हैं। यह फसल बुआई के 160 से 180 दिन में तैयार हो जाती है। G1 लहसुन की उपज क्षमता 40 -44 क्विंटल प्रति एकड़ है।
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एचजी 17
H. G. 17 लहसुन की यह विशेष किस्म हरियाणा राज्य के लिए उपयोगी मानी गई है। एचजी 17 किस्म के एक लहसुन का वजन 25-30 ग्राम होता है। इसकी एक गाँठ में 28 से 32 कलियाँ होती हैं। लहसुन की एचजी 17 किस्म बिजाई के 160-170 दिनों में तैयार हो जाती है। H.G 17 लहसुन की उत्पादन क्षमता 50 क्विंटल प्रति एकड़ है।
भीम ओंकार
भीम ओंकार का लहसून सफेद और मध्यम आकार का ठोस होता है। लहसुन की यह विशेष किस्म बुआई के 120 से 135 दिनों में तैयार हो जाती है। भीमा ओंकार की उत्पादन क्षमता 80 से 140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। भीमा ओंकार को जलवायु के अनुसार दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के लिए उपयुक्त माना गया है।
भीम पर्पल
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है बैंगनी, जिसे हिन्दी में जामुनी रंग कहते हैं। लहसुन की भीमा पर्पल किस्म दिखने में बैंगनी रंग की होती है। लहसुन की यह विशेष किस्म बुआई के 120 से 125 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी उत्पादन क्षमता 60 से 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। भीमा पर्पल उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र की भूमि के लिए उपयुक्त माना जाता है।
जी-50
G- 50 लहसुन की कलियां ठोस होती हैं। यह दिखने में सफेद होता है और गूदा क्रीम रंग का होता है। ब्लाइट और पर्पल स्पॉट रोग के प्रति सहिष्णु। बता दें कि लहसुन की जी-50 किस्म बुआई के 170 दिन में तैयार हो जाती है। खासकर उसके बाद इसकी उत्पादन क्षमता 150 से 160 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
जी-282
जी-282 यमुना सफेद-3 की किस्म है। इस किस्म के लहसुन में प्रति गांठ 15 से 18 कलियां होती हैं। जी-282 बुवाई के 140 से 150 दिनों में तैयार हो जाती है, जबकि इसकी उपज क्षमता 150-175 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। खास बात यह है कि इस किस्म को निर्यात के लिए भी बेहतरीन माना गया है।
जी-323
लहसुन की जी-323 किस्म की गांठें दिखने में चांदी की तरह सफेद और आकार में 3-4 सेंटीमीटर बड़ी होती हैं। जी-323 लहसुन की एक गांठ में 20 से 25 कलियां पाई जाती हैं। यह किस्म बुआई के 165 से 170 दिनों में तैयार हो जाती है। जी-323 लहसुन की उत्पादन क्षमता 160 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।