सोयाबीन की ये 5 उन्नत किस्मे तोड़ेंगी सारे रिकॉर्ड, कम लागत में होगा बंपर उत्पादन
खरीफ सीजन शुरू हो चुका है और इस दौरान सोयाबीन की खेती करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. आइए जानते हैं कुछ बेहतर किस्मों के बारे में जो मुनाफा दिलाने में आपकी मदद करेंगी।
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MACS-1407
यह किस्म उत्तर भारत के बारिश वाले इलाकों के लिए बहुत उपयुक्त है. साथ ही ये रोगों से लड़ने वाली किस्म है. इसकी खेती मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम सहित पूर्वोत्तर राज्यों में की जाती है. बोने के 43 दिन बाद इस पर फूल आने लगते हैं और 104 दिन बाद ये पककर तैयार हो जाती है. इसकी बुवाई का सही समय जून के दूसरे सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह के बीच माना जाता है. यह किस्म 39 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से पैदावार देती है.
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JS-2069
सोयाबीन की जेएस-2069 किस्म जल्दी तैयार होने वाली किस्म है. इसकी बुवाई के लिए प्रति एकड़ 40 किलो बीज की आवश्यकता होती है. इस बीज से 1 हेक्टेयर में लगभग 22-26 क्विंटल उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. इस किस्म को तैयार होने में 85-90 दिन लगते हैं.
JS-2034
अगर आप सोयाबीन की अच्छी पैदावार लेना चाहते हैं तो जेएस-2034 किस्म एक अच्छा विकल्प है. इस पौधे का दाने पीले रंग का होता है और फूल सफेद होते हैं. कम बारिश वाले क्षेत्रों में किसान इस किस्म की बुवाई करके बेहतर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. जेएस 2034 किस्म का उत्पादन 1 हेक्टेयर में लगभग 24-25 क्विंटल होता है. यह फसल 80-85 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
NRC 181
सोयाबीन की एनआरसी 181 किस्म को अधिक पैदावार देने वाली किस्म माना जाता है. यह पीली मोज़ेक और टारगेट लीफ स्पॉट रोगों के लिए प्रतिरोधी है. इस किस्म की खेती भारत के मैदानी इलाकों में की जाती है. इस किस्म को तैयार होने में 90-95 दिन लगते हैं और इसका औसत उत्पादन 16-17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है.
BS 6124
सोयाबीन की बीएस 6124 किस्म भी बेहतर किस्मों में शामिल है. इस प्रजाति के पौधे में जामुनी रंग के फूल लगते हैं. यह किस्म बुवाई के 90 से 95 दिन बाद तैयार हो जाने वाली फसल है. जो 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार देती है. साथ ही ये किस्म 21 प्रतिशत तक तेल का उत्पादन भी देती है.