सोयाबीन की यह टॉप उन्नत किस्मे बना देगी लखपति, कम लागत में होगी ताबड़तोड़ कमाई, देखे पूरी जानकारी

0
सोयाबीन की यह टॉप उन्नत किस्मे बना देगी लखपति, कम लागत में होगी ताबड़तोड़ कमाई, देखे पूरी जानकारी

सोयाबीन की यह टॉप उन्नत किस्मे बना देगी लखपति, कम लागत में होगी ताबड़तोड़ कमाई, देखे पूरी जानकारी। अगर आप खेती से ज्यादा कमाई करना चाहते हैं, तो सोयाबीन की खेती आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकती है. यह एक प्रमुख तिलहनी फसल है, जिसे सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में बहुत पसंद किया जाता है. सोयाबीन को प्रोटीन का खजाना भी कहा जाता है. इसमें फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट, ओमेगा-3, ओमेगा-6, फैटी एसिड और फाइटोएस्ट्रोजन भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. सोयाबीन से तेल, दूध, पनीर और बड़ी जैसी चीजें बनाई जाती हैं. अच्छी कमाई के लिए आप भी सोयाबीन की खेती कर सकते हैं. इससे आपको काफी मुनाफा हो सकता है. आइए अब विस्तार से जानते हैं कि सोयाबीन की खेती कैसे की जाती है?

यह भी पढ़े- पशुपालको को लखपति बना देगी इस नस्ल की गाय, 50 से 80 लीटर तक देती है दूध, जाने इसकी पूरी जानकरी

सोयाबीन की फसल के लिए उपजाऊ मिटटी

सोयाबीन की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जिसमें पानी निकलने की अच्छी व्यवस्था हो. मिट्टी का पीएच (PH) मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए और उसमें पर्याप्त मात्रा में जैविक कार्बन पदार्थ होने चाहिए. खेत की मिट्टी ढीली और चपाने योग्य होनी चाहिए. खेत की गहरी जुताई करें और फिर 2-3 बार चलाएं. हर बार चलाने के बाद खेत को समतल करने के लिए जरूरी है कि उसे वहैल चलाया जाए. खेत तैयार होने के बाद ही बुवाई का काम करें।

सोयाबीन की बुवाई

सोयाबीन के बीजों को बीमारी से बचाने के लिए, उन्हें 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से थीरम या कार्बेन्डाजिम से उपचारित करना चाहिए. इसके अलावा, ट्राइकोडर्मा विरिडी को भी टैल्कम फॉर्मूलेशन के साथ 4 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित किया जा सकता है. बीजों के अच्छे से अंकुरित होने के लिए, वे स्वस्थ और रोगमुक्त होने चाहिए. खरीफ सीजन में लगभग 70-80 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर और वसंत-गर्मी के सीजन में 100-120 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।

सोयाबीन की उन्नत किस्में

आईसीएआर की रिपोर्ट के अनुसार, सोयाबीन की उन्नत किस्मों में ब्रैग, क्लार्क 63, इंदिरा सोया-9, पंजाब-1, ली, आरएससी-10-46, आरएससी-10-52, अलंकार, इंप्रूव्ड पेलिकन, शिलाजीत, जेएस-2, उपास-19, आर-184 आदि शामिल हैं. बीजों का चुनाव सोयाबीन उत्पादन में एक महत्वपूर्ण कारक है. इसलिए, किस्मों का चयन करते समय परिपक्वता और रोग प्रतिरोधक क्षमता जैसे कई कारकों पर विचार करना चाहिए।

यह भी पढ़े- iphone को नानी याद देगा Nokia का स्टाइलिश 5G स्मार्टफोन, 7800mAh बैटरी और HD फोटू क्वालिटी देख DSLR भी देगा सलामी

सोयाबीन की फसल में खाद का प्रयोग

सोयाबीन की अच्छी फसल उगाने के लिए 15-20 टन प्रति हेक्टेयर की दर से सड़ी गोबर की खाद का इस्तेमाल करना चाहिए. संतुलित रासायनिक उर्वरक के तहत, 20-40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60-80 किलोग्राम पोटाश, 40 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके साथ ही 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से जस्ता का भी प्रयोग किया जा सकता है।

सोयाबीन की कटाई

सोयाबीन की फसल को पूरी तरह से पकने के बाद ही काटा जाना चाहिए. जब फलियां काली, भूरी या सुनहरी हो जाती हैं, तो वे कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

बहुचर्चित खबरें