इस सीजन सोयाबीन की ये उन्नत किस्मे बना देंगी धन्नासेठ, प्रति हेक्टेयर होगा 40 क्विंटल तक उत्पादन

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इस सीजन सोयाबीन की ये उन्नत किस्मे बना देंगी धन्नासेठ, प्रति हेक्टेयर होगा 40 क्विंटल तक उत्पादन

खरीफ सीजन की शुरुआत हो चुकी है और जून का महीना आते ही किसान खरीफ की फसलों की तैयारी में जुट जाते हैं. धान के बाद खरीफ सीजन में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलों में से एक है सोयाबीन. लेकिन बाजार में सोयाबीन की कई किस्में आ जाने के कारण किसान अक्सर क confusion में पड़ जाते हैं कि कौन सी किस्म उनके लिए बेहतर रहेगी. आज हम आपको सोयाबीन की कुछ बेहतरीन किस्मों के बारे में बताएंगे जिनकी खेती करके आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

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MACS-1407

    • उत्तर भारत के बारिश वाले इलाकों के लिए उपयुक्त
    • कीट प्रतिरोधी किस्म
    • मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम समेत पूर्वोत्तर राज्यों में इसकी खेती की जाती है.
    • बुवाई के 43 दिन बाद फूल आने लगते हैं और 104 दिन बाद पककर तैयार हो जाती है.
    • इसकी बुवाई का सही समय जून के दूसरे सप्ताह से जुलाई के पहले सप्ताह तक माना जाता है.
    • प्रति हेक्टेयर 39 क्विंटल की उपज देती है.

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    JS-2069

      • जल्दी पकने वाली किस्म
      • इसकी बुवाई के लिए प्रति एकड़ 40 किलो बीज की जरूरत होती है.
      • 1 हेक्टेयर में इस बीज से लगभग 22-26 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.
      • यह किस्म 85-90 दिनों में तैयार हो जाती है.

      JS-2034

        • अच्छी पैदावार के लिए उपयुक्त किस्म
        • पौधे का दाने पीले रंग के होते हैं और फूल सफेद रंग के होते हैं.
        • कम बारिश वाले इलाकों में भी इसकी खेती करके अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है.
        • JS 2034 किस्म 1 हेक्टेयर में लगभग 24-25 क्विंटल का उत्पादन देती है.
        • यह फसल 80-85 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.

        NRC 181

          • अधिक पैदावार देने वाली किस्म मानी जाती है.
          • पीला मोज़ेक और टारगेट लीफ स्पॉट रोग प्रतिरोधी
          • भारत के मैदानी इलाकों में इसकी खेती की जाती है.
          • यह किस्म 90-95 दिनों में तैयार हो जाती है और इसकी औसत पैदावार 16-17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.

          BS 6124

            • सोयाबीन की बेहतर किस्मों में से एक
            • इस प्रजाति के पौधे पर बैंगनी रंग के फूल आते हैं.
            • यह किस्म बुवाई के 90 से 95 दिन बाद तैयार होने वाली फसल है.
            • यह प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल तक की उपज भी देती है.
            • साथ ही यह किस्म 21 प्रतिशत तक तेल का उत्पादन भी देती है.
            • इन सभी किस्मों की अपनी अलग-अलग विशेषताएं हैं. आप अपने इलाके की जलवायु और मिट्टी के हिसाब से इनमें से सर्वोत्तम किस्म का चुनाव कर सकते हैं. सोयाबीन की अच्छी पैदावार के लिए उन्नत किस्मों के साथ-साथ खेत की अच्छी तैयारी, समय पर बुवाई, खाद पर भी ध्यान देना जरूरी है.

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