सावन सोमवार:सावन का आखरी सोमवार,आज सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में करे ये काम,भगवन शिव का शुभ समय,कैलाश पर होंगे विराजित

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सावन सोमवार। 8 अगस्त को है सावन का आखरी सोमवार । इस दिन ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति से तीन शुभ योग बन रहे हैं। वहीं, दोपहर बाद द्वादशी तिथि शुरू हो जाने से शाम को पूजा के वक्त शिवजी का वास कैलाश पर्वत पर रहेगा। विद्वानों के मुताबिक इस संयोग में की गई पूजा का पुण्य कभी खत्म नहीं होता है। शिव पूजा के लिए सावन का सोमवार बहुत खास होता है। इस दिन शिव जी की विशेष पूजा-अभिषेक और मंत्र जाप के साथ ही दिनभर व्रत रखने की परंपरा है। शिव पुराण के मुताबिक ऐसा करने से महापुण्य मिलता है। इस पुराण में ये भी बताया है कि सावन सोमवार को सूरज डूबने के बाद प्रदोष काल में भगवान शिव और पार्वती की पूजा करनी चाहिए।

शुभ संयोग: कैलाश पर रहेगा शिवजी का वास
सावन के इस आखिरी सोमवार को ज्येष्ठा नक्षत्र में चंद्रमा रहेगा। इस नक्षत्र के देवता इंद्र हैं और संयोग से इस दिन इंद्र योग भी बन रहा है। इस दिन द्वादशी होने से शिवजी का वास कैलाश पर रहेगा। साथ ही इस दिन तिथि, वार और नक्षत्र के संयोग से पद्म और रवियोग भी रहेंगे। इसलिए इन शुभ योगों में की गई शिव पूजा का शुभ फल कई गुना बढ़ जाएगा। ज्येष्ठा नक्षत्र होने से नए कामों की शुरुआत, नई नौकरी ज्वाइन करना, जिम्मेदारी लेना इस दिन शुभ रहेगा। साथ ही इस दिन खरीदारी का भी शुभ मुहूर्त रहेगा।

कैसे करें सावन सोमवार की पूजा
इस दिन सुबह जल्दी उठकर पानी में काले तिल डालकर नहाना चाहिए। इसके बाद भगवान पूजा करें। सावन सोमवार को ऊॅ नम: शिवाय मंत्र बोलते हुए पूरी पूजा करनी चाहिए। इस दिन पानी में दूध मिलाकर शिवजी पर चढ़ाना चाहिए। इसके अलावा पंचामृत और फलों के रस से भी शिवजी का अभिषेक करने का विधान बताया गया है। इसके बाद फूल, पत्र, धूप-दीप और आखिरी में नैवेद्य लगाकर आरती करने से सावन सोमवार की पूजा पूरी हो जाती है। सावन सोमवार को शाम में शिव मंदिर में तिल के तेल का दीपक भी लगाना चाहिए।

पूजा विधि
सबसे पहले शिवलिंग पर शुद्ध जल, फिर दूध चढ़ाएं। पंचामृत और फिर फलों के रस से अभिषेक करें। फिर चंदन, अबीर, गुलाल, जनेऊ, फूल और बिल्वपत्र चढ़ाएं। इसके बाद फल चढ़ाकर धूप-दीप लगाएं और नवैद्य चढ़ाने के बाद आरती करें। शिवजी की पूजा में मदार के फूल, धतूरा और बिल्वपत्र चढ़ाना चाहिए। क्योंकि ये भगवान को बहुत प्रिय है। इनके साथ ही चावल, जौ, गेहूं, मूंग आदि अनाज भी चढ़ा सकते हैं।

प्रदोष काल में शिव पूजा का पूरा फल
शाम को सूर्यास्त के बाद शिवजी की पूजा करने का विशेष महत्व है। क्योंकि सूरज डूबते ही प्रदोष काल शुरू हो जाता है और रात शुरू होने तक ये समय रहता है। इस तरह दिन और रात के बीच का समय जो तकरीबन 2 घंटे 24 मिनट का माना गया है। शिव महापुराण में बताया गया है कि इस वक्त शिवजी प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं। इसलिए प्रदोष काल में विशेष पूजा से भगवान जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं।

शिव मंदिर में दीपदान
सावन सोमवार को शाम में शिव मंदिर में दीपदान करने की परंपरा है। इस दिन शिवजी को तिल के तेल का दीपक भी लगाने का विधान है। शिव पुराण में बताया है कि ऐसा करने से हर तरह की परेशानियां दूर होने लगती है। इस ग्रंथ के मुताबिक शिवलिंग के सामने तिल के तेल का दीपक जलाने से उम्र बढ़ती है और बीमारियों से राहत मिलने लगती है।
सोमवार को किसी नदी या तालाब में आटे की गोलियां मछलियों को खिलाएं। ये काम करते हुए ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। गाय-बैल को हरा चारा खिलाएं। जरूरतमंद लोगों को भोजन और धन का दान करना चाहिए।

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