Refined Palm Oil रिफाइंड पामोलिन/पाम ऑयल पर 15% शुल्क की होगी वृद्धि, जानिए इसके पीछे की वजह!

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Refined Palm Oil रिफाइंड पामोलिन/पाम ऑयल पर 15% शुल्क की होगी वृद्धि, नवंबर महीने के आखिर में आम लोगों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल आज सुबह आम लोगों को खाने के तेल को लेकर झटका लगा है. जहां एक ओर देश की जनता को तेल की बढ़ती कीमतों से राहत दिलाने के लिए सरकार आए दिन कोई न कोई फैसला लेती रहती है. तो वहीं दूसरी तरफ इनकी बढ़ती कीमतों में ज्यादा अंतर देखने को नहीं मिल रहा है। महंगाई के इस दौर में खाद्य तेल उद्योग संगठन (एसईए) ने भारत सरकार से रिफाइंड पाम ऑयल पर आयात शुल्क बढ़ाकर 20 फीसदी करने का अनुरोध किया है, जो फिलहाल 12.5 फीसदी है।

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सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने घरेलू रिफाइनरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तेल की इस समस्या को लेकर केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि क्रूड पाम ऑयल (CPO) और रिफाइंड पाम ऑयल (पामोलीन) के बीच ड्यूटी में 7.5 फीसदी तक का अंतर है, जिसके चलते ज्यादा से ज्यादा रिफाइंड पाम ऑयल (पामोलीन) का आयात किया जा रहा है।

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रिफाइंड पामोलिन/पाम ऑयल पर 15% शुल्क की होगी वृद्धि

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जानिए कीमत बढ़ाने की जरूरत क्यों पड़ी
एसईए के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला और एशियन पाम ऑयल एलायंस (एपीओए) के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी द्वारा तेल की कीमत बढ़ाने के लिए हस्ताक्षरित एक पत्र में बताया गया है कि इंडोनेशियाई और मलेशियाई तेल की कीमतों की तुलना में देश में 7.5 प्रतिशत तक का कम शुल्क अंतर है। प्रसंस्करण उद्योग के लिए खाद्य तेल अत्यधिक फायदेमंद है। इसलिए इसका प्रतिशत बढ़ाने की जरूरत है।

देश में सीपीओ और रिफाइंड पामोलिन/पाम ऑयल के बीच मौजूदा अंतर को कम से कम 15 फीसदी बढ़ाया जाना चाहिए और उन्होंने यह भी कहा कि आरबीडी पामोलिन ड्यूटी को भी बढ़ाकर 20 फीसदी किया जाना चाहिए।

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देश में खाद्य तेल की कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा
तेल के मौजूदा अंतर को बढ़ाने के फैसले से लोगों में यह डर है कि कहीं इसका असर देश की आम जनता पर न पड़े, लेकिन लोगों के इस डर को दूर करने के लिए एसईए ने आश्वासन दिया कि तेल के दाम बढ़ेंगे. इन अंतरों के कारण देश में कुल आयात प्रभावित नहीं होगा और साथ ही इससे खाद्य तेल की महंगाई पर भी असर नहीं पड़ेगा। बल्कि उनका कहना है कि इस बदलाव से भारत में कैपेसिटी यूटिलाइजेशन और रोजगार सृजन के नए रास्ते खुलेंगे।

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