Rabi Crops रबी बुवाई में आई तेजी, रकबा 450 लाख हेक्टेयर के पार हुआ, खाद्य तेलों में आयात पर निर्भरता कम करने पर सरकार का जोर!
Rabi Crops चालू सीजन में रबी फसलों की बुआई भले ही देरी से शुरू हुई हो, लेकिन अब रफ्तार पकड़ी है। गेहूँ की खेती के तहत सामान्य क्षेत्र की तुलना में दो तिहाई खेती की गई है। जबकि घरेलू मांग को देखते हुए तिलहनी फसलों की ओर किसानों का रुझान बढ़ा है। मोटे अनाज के नाम से घोषित अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष 2023 को देखते हुए इसकी खेती का रकबा भी बढ़ा है। रबी सीजन का कुल बोया गया रकबा भी 4.50 करोड़ हेक्टेयर को पार कर गया है, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 27 लाख हेक्टेयर अधिक है।
Rabi Crops
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सरकार का पूरा जोर खाद्य तेलों में आयात पर निर्भरता कम करने पर है
जहां एक ओर पिछले मानसून सीजन की देरी से हुई बारिश के कारण रबी की बुवाई में देरी हुई, वहीं दूसरी ओर रबी की फसलों को मिट्टी में पर्याप्त नमी का लाभ मिलना तय है। इससे उत्पादकता बढ़ने की उम्मीद है। जबकि मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में तिलहनी फसलों के लिए उपयुक्त अवसर मिलते ही सामान्य से अधिक क्षेत्र में तिलहनी फसलों की खेती में मदद की गई है। दरअसल सरकार का पूरा जोर खाद्य तेलों में आयात पर निर्भरता कम करने पर है।
इसके तहत सस्ते आयात पर रोक लगाने की पूरी कोशिश की जा रही है, ताकि घरेलू किसानों को तिलहनी फसलों को किसी तरह का नुकसान न उठाना पड़े। गत वर्ष 2021-22 में अब तक जहां 75.55 लाख हेक्टेयर में तिलहनी फसलों की खेती होती थी, वहीं इस बार यह 83 लाख हेक्टेयर को पार कर गई है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की खेती का रकबा 21.1 मिलियन हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जो सामान्य 3.04 हेक्टेयर क्षेत्र का दो-तिहाई है। जबकि पिछले साल इसी अवधि में कुल बोया गया रकबा दो करोड़ हेक्टेयर था।
गेहूं की बुआई में राजस्थान, बिहार आगे
गेहूं की बुवाई में अग्रणी राज्य राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब और पश्चिम बंगाल हैं। लेकिन चौंकाने वाले बुवाई के आंकड़े हरियाणा जैसे राज्यों से आ रहे हैं, जहां बुवाई 2.89 लाख हेक्टेयर कम दर्ज की गई है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, 2 दिसंबर, 2022 तक मोटे अनाज की फसलों की खेती 32.63 लाख हेक्टेयर में की गई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि तक केवल 29 लाख हेक्टेयर में ही बोई जा सकी थी।
दलहनी फसलों की खेती का आंकड़ा भी पिछले साल के 1.08 करोड़ हेक्टेयर की तुलना में अधिक यानी 1.13 करोड़ हेक्टेयर है। रबी मौसम की प्रमुख दलहनी फसल चना की खेती का रकबा 4.1 लाख हेक्टेयर अधिक दर्ज किया गया है। मोटे अनाजों के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष की घोषणा के कारण रबी सीजन में इस वर्ग की फसलों की खेती के तहत क्षेत्र में वृद्धि हुई है।
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