Pea Farming दिसंबर में करें मटर की उन्नत खेती, कम समय में मिलेगा अच्छा मुनाफा

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Pea Farming दिसंबर में करें मटर की उन्नत खेती, कम समय में मिलेगा अच्छा मुनाफा

Pea Farming अगर आप सर्दी के मौसम में खेत में कुछ और उगाना चाहते हैं तो मटर एक अच्छा विकल्प है। मटर की खेती से आप 2 से 3 महीने में लाखों की कमाई कर सकते हैं। मटर की खेती कम लागत और कम मेहनत में अच्छा मुनाफा देती है। आज के इस लेख में हम आपको मटर की उन्नत खेती की जानकारी दे रहे हैं।

Pea Farming

उपयुक्त जलवायु-मिट्टी
मटर की खेती के लिए नम और ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है। मटर के लिए मटियार दोमट या दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है, मिट्टी का पीएच मान 6-7.5 तक होना चाहिए। ध्यान रहे कि अधिक अम्लीय मिट्टी मटर के लिए बिल्कुल भी अच्छी नहीं होती है।

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बुवाई का सही समय
मटर की खेती में बीजों के अंकुरण के लिए औसतन 22°C तापमान की आवश्यकता होती है, जबकि वृद्धि के लिए 10 से 18°C तापमान की आवश्यकता होती है। मटर की बुवाई का सबसे अच्छा समय अक्टूबर के मध्य से नवंबर के पहले सप्ताह तक है। लेकिन यदि आप मटर की बुआई नहीं कर पाए हैं तो आप मध्यम या पछेती किस्मों की बुवाई दिसंबर के पहले सप्ताह तक कर सकते हैं।

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उन्नत किस्में
मटर की पछेती किस्में हैं आजाद पी1, बोनेविले, जवाहर मटर आदि। शुरुआती किस्मों में अगेता 6, आर्चिल, पंत सब्जी मटर 3, आजाद पी3 शामिल हैं। इसके अलावा जेएम6, प्रकाश, केपी एमआर400, आईपीएफडी 99-13 भी उत्पादन की दृष्टि से अच्छी किस्में हैं।

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मैदान की तैयारी
मटर की खेती करने से पहले खेत की ठीक से जुताई करना आवश्यक है। इसके बाद पलेवा चलाएं। मटर के अंकुरण के लिए मिट्टी की नमी जरूरी है। मिट्टी तैयार करते समय गोबर की खाद मिलाएं। अच्छे उत्पादन के लिए 30 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा. फास्फोरस, 40 किलो पोटाश दिया जा सकता है। साथ ही 100-125 किग्रा. डायमोनियम फास्फेट (डी, ए, पी) प्रति हेक्टेयर देने से भी पौधों की अच्छी वृद्धि होती है। जिन क्षेत्रों में गंधक की कमी है वहां बुआई के समय गंधक भी देना चाहिए।

बीज उपचार
मटर के बीज बोने से पूर्व थीरम 2 ग्राम या मैकोनजेब 3 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करना चाहिए। बीजों को बोने से पहले पानी में भिगोकर छाया में सुखा लें। बीज को 5 से 7 सेंटीमीटर की गहराई और 20 से 25 सेंटीमीटर की दूरी पर बोयें।

अगेती किस्मों की बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 150 किग्रा तक बीज का प्रयोग किया जाता है, जिससे 50 से 60 क्विंटल उत्पादन होता है। वहीं पिछड़ी किस्मों के लिए 100 से 120 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज दर रखें, जिसमें 60 से 125 क्विंटल उत्पादन होता है।

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सिंचाई
मटर की उन्नत खेती में मिट्टी में नमी का होना आवश्यक है। नमी और सर्दी के अनुसार 1-2 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई फूल आने के समय तथा दूसरी सिंचाई फली बनने के समय करनी चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण
फसल उगाने की अवस्था में हल्की निराई आवश्यक है। खरपतवार फसल की उत्पादन क्षमता को प्रभावित करते हैं। बथुआ, सेन्जी, कृष्णनील, सतपती जैसे चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार अधिक होते हैं तो 4-5 लीटर स्टैम्प-30 (पेंडीमेथेलिन) 600-800 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर की दर से मिलाकर बुवाई के तुरंत बाद छिड़काव करें।

लागत और लाभ
मटर की खेती की लागत 20 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर है और प्रति हेक्टेयर 25 से 30 क्विंटल उत्पादन होता है। मटर का बाजार भाव 30 से 40 रुपए किलो तक है। वहीं सूखे मटर को बाजार में भी बेचा जा सकता है।

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