Lemon Grass Farming लेमन ग्रास की खेती कैसे करते हैं, जानिए इसके फायदें

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Lemon Grass Farming लेमन ग्रास की खेती औषधीय पौधे के रूप में की जाती है। भारत में इसे व्यावसायिक आधार पर उगाया जाता है। इसे चाइना ग्रास, लेमन ग्रास, मालाबार ग्रास, इंडियन लेमन ग्रास और को चाइना ग्रास के नाम से भी जाना जाता है। इसकी पत्तियों में 75 प्रतिशत सिट्रल होता है, जिसके कारण इसमें नींबू जैसी सुगंध होती है। इसकी पत्तियों का उपयोग चाय बनाने के लिए भी किया जाता है। इसकी पत्तियों से प्राप्त तेल का उपयोग उच्च गुणवत्ता वाले इत्र, साबुन और पेय पदार्थ जैसे सौंदर्य प्रसाधन बनाने के लिए किया जाता है, और शेष भाग का उपयोग कागज और हरी खाद बनाने के लिए किया जाता है। Lemon Grass Farming

भारत में लेमन ग्रास की खेती उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, असम, महाराष्ट्र, कर्नाटक और राजस्थान में की जाती है। किसान भाई भी लेमन ग्रास की खेती करके अच्छा पैसा कमा सकते हैं। इस लेख में आप लेमन ग्रास की खेती कैसे करते हैं और इसे हिंदी में जराकुश भी कहते हैं, इसके अलावा आपको लेमन ग्रास के फायदों के बारे में बताया गया है।

लेमन ग्रास पोषक तत्व

लेमन ग्रास में कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो मानव शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। यह प्रोटीन, राइबोफ्लेविन, नियासिन पैंटोथेनिक एसिड, विटामिन ए, विटामिन सी और थायमिन से भरपूर होता है। इसके अलावा इसमें सेलेनियम, सोडियम, आयरन, मैंगनीज, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, कॉपर, फॉस्फोरस और जिंक जैसे कई तरह के मिनरल्स भी मौजूद होते हैं, जिसके कारण यह काफी फायदेमंद औषधि भी है। Lemon Grass Farming

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Lemon Grass Farming

लेमन ग्रास का उपयोग
लेमन ग्रास का इस्तेमाल चिकन बनाने के साथ भी किया जा सकता है.
चाय बनाते समय भी लेमन ग्रास का इस्तेमाल किया जा सकता है।
इसका उपयोग सब्जियों का स्वाद बढ़ाने के लिए भी किया जाता है।
लेमन ग्रास को सूप के साथ भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
लेमन ग्रास में नींबू के समान खट्टापन होता है, जिसके कारण इसे नींबू की जगह इस्तेमाल किया जा सकता है।
जरकुश (नींबू घास) के लाभ
पेट से जुड़ी कई तरह की समस्याओं में लेमन ग्रास का सेवन फायदेमंद होता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और पाचन शक्ति को भी मजबूत करता है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो तनाव को दूर करने में मददगार होते हैं।
यह एक औषधीय पौधा है, जिसमें एंटी-फंगल और कैंसर रोधी गुण होते हैं। यह कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है। लेमन ग्रास का सेवन आप चाय के रूप में कर सकते हैं।
लेमन ग्रास शरीर में मौजूद खराब कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकता है, साथ ही कोलेस्ट्रॉल के स्तर को भी कम करता है। इसके लिए आप खाने के साथ लेमन ग्रास का इस्तेमाल कर कोलेस्ट्रॉल लेवल को नॉर्मल कर सकते हैं।
लेमन ग्रास ऑयल में कुछ खास औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो अनिद्रा की समस्या को दूर करने में फायदेमंद साबित होते हैं।
लेमन ग्रास वजन घटाने में भी कुछ हद तक फायदेमंद साबित होता है। यह मूत्र के माध्यम से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम करता है।
अगर आपकी इम्युनिटी कमजोर है तो आप खाने के साथ लेमन ग्रास का सेवन करके अपनी इम्युनिटी को मजबूत कर सकते हैं। Lemon Grass Farming

लेमन ग्रास के नुकसान
1 लेमनग्रास का अधिक मात्रा में सेवन करने से चक्कर आने जैसी समस्या हो सकती है।
2 अगर आप इसका ज्यादा सेवन करते हैं तो आपको कमजोरी भी महसूस हो सकती है।
इसके अलावा कुछ लोगों में अत्यधिक भूख की समस्या भी देखी गई है।
3 अगर आप खाने के साथ लेमनग्रास का ज्यादा सेवन करते हैं तो आपको बार-बार पेशाब आने की समस्या हो सकती है।
4 लेमन ग्रास के ज्यादा इस्तेमाल से मुंह में सूखापन आ सकता है।
नींबू घास की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान
5 इसकी खेती किसी भी उपजाऊ मिट्टी में की जा सकती है। जलभराव वाली भूमि में लेमन ग्रास की खेती नहीं करनी चाहिए। इसकी खेती सामान्य पी.एच. यह मूल्य की भूमि में किया जाता है।

6 इसकी खेती के लिए गर्म और समशीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है। इसके पौधों को अधिक धूप की आवश्यकता होती है। यदि इसके पौधों को सर्दी के मौसम में पर्याप्त धूप मिले तो पैदावार अच्छी होती है। लेकिन सर्दियों में पड़ने वाली पाला इसके पौधों को ज्यादा नुकसान पहुंचाती है. इसके पौधों को वर्षा ऋतु में केवल 200 से 250 सेमी वर्षा की आवश्यकता होती है।

7 लेमन ग्रास के पौधे 20 से 25 डिग्री तापमान पर अच्छी तरह बढ़ते हैं। इसके पौधे अधिकतम तापमान 40 डिग्री और न्यूनतम 15 डिग्री तक सहन कर सकते हैं।

लेमन ग्रास की उन्नत किस्में

सिम्बोपोगोन फ्लेक्सुओसस
लेमन ग्रास की इस प्रजाति में पौधों की पत्तियों का आकार सीधा होता है। जिसमें नली और पत्तियों की मुख्य शिरा बादाम के रंग की होती है। इस किस्म में कृष्णा, प्रगति, नीमा और कावेरी जैसी उन्नत किस्में शामिल हैं, जिन्हें अधिक उत्पादन के लिए उगाया जाता है। यह किस्म मुख्य रूप से मध्य प्रदेश और राजस्थान में उगाई जाती है।

सिम्बोपोगन पेंडुलस
इस प्रजाति की किस्मों में, पत्तियां गहरे हरे रंग की होती हैं, जिसके अंदर ट्यूब का हल्का भूरा रंग होता है। इस किस्म में उगाई जाने वाली मुख्य किस्में चिरचरित और प्रमाण हैं, जो अधिक उपज देने के लिए जानी जाती हैं।

सिम्बोपोगान क्रास प्रजाति

यह लेमन ग्रास की एक संकर प्रजाति है, जिसे अन्य प्रजातियों के साथ संकरण कर तैयार किया गया है | इस प्रजाति में सी. के. पी. – 25 किस्म शामिल है, जिसमे निकलने वाली पत्तिया पतली, छोटी और कम चौड़ी होती है| यह पत्तिया देखने में पूरी हरी होती है |

इसके अतिरिक्त ओ. डी. 19 ओडाक्कली भी लेमन ग्रास की एक किस्म है, जिसे एर्नाकुलम केरल द्वारा तैयार किया | यह किस्म अधिक उत्पादन देने में सक्षम होती है, जिससे प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 80 से 220 KG तेल का उत्पादन प्राप्त हो जाता है |

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लेमन ग्रास के खेत की तैयारी और उवर्रक (Lemon Grass Field Preparation and Fertilizer)

लेमन ग्रास की खेती के लिए भुरभुरी मिट्टी की आवश्यकता होती है | इसलिए मिट्टी को भुरभुरा करने के लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई कर दी जाती है | खेत की पहली जुताई के बाद उसमे 10 से 12 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद को डालना होता है | इसके बाद खेत की दो से तीन तिरछी जुताई कर दी जाती है, इससे खेत की मिट्टी में गोबर की खाद ठीक तरह से मिल जाती है | इसके बाद खेत में पानी लगाकर पलेव कर दिया जाता है, पलेव के पश्चात् मिट्टी के सूख जाने पर एक बार फिर से जुताई कर दी जाती है, इससे खेत में मौजूद मिट्टी के ढेले टूट जाते है, और खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है | इसके बाद खेत में पाटा लगाकर खेत को समतल कर दिया जाता है | समतल खेत में पौधों की रोपाई के लिए उचित दूरी पर क्यारियों को तैयार कर लिया जाता है | लेमन ग्रास के खेत में यदि आप रासायनिक खाद का इस्तेमाल करना चाहते है, तो उसके लिए आपको प्रति हेक्टेयर के हिसाब से दो बोरे एन.पी.के. की मात्रा का छिड़काव खेत की आखरी जुताई के समय करना होता है | इसके अतिरिक्त पौध कटाई के पश्चात् तक़रीबन 20 से 25 KG नाइट्रोजन की मात्रा को प्रति एकड़ के हिसाब से दे | इससे पौधों पर कम समय में ही नई शाखाओ का निर्माण होता है, जिससे पौधों की अधिक पैदावार प्राप्त होती है | Lemon Grass Farming

लेमन ग्रास के पौधों की रोपाई का सही समय और तरीका (Lemon Grass Plants Preparation)

लेमन ग्रास के पौधों की रोपाई कलम और बीज दोनों ही तरीके से की जाती है | यदि आप बीज के माध्यम से रोपाई करना चाहते है, तो उसके लिए आपको एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 2 से 3 KG बीजो की आवश्यकता होती है, तथा पौध के रूप में रोपाई के लिए कलम को खेत में तैयार क्यारियों में लगाया जाता है| इन क्यारियों को पंक्तियों में तैयार कर लिया जाता है, जिसमे प्रत्येक पंक्ति के मध्य एक से डेढ़ फ़ीट की दूरी रखी जाती है | इसके बाद पंक्ति में की गयी पौध रोपाई एक से डेढ़ फ़ीट की दूरी पर की जाती है, तथा पौधों को 3 से 4 CM की गहराई में लगाना होता है |

इसके अलावा पौधों की रोपाई पुरानी जड़ो के रूप में भी कर सकते है | यह विधि स्लिप विधि कहलाती है | इसमें कलम को तैयार करने के लिए लगाए गए पुराने पौधों को जड़ से 8 से 10 CM की ऊंचाई से काटा जाता है | इसके बाद उन जड़ों को उखाड़कर उनसे स्लिप (छोटी जड़े) अलग कर ली जाती है | इन अलग की हुई जड़ों को 3 से 4 CM की गहराई में खेत में लगाते है | यह विधि सबसे अच्छी मानी जाती है |

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लेमन ग्रास के पौधों की रोपाई के लिए बारिश का मौसम सबसे उपयुक्त माना जाता है | इस दौरान पौधों को प्रारंभिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है | इसके साथ ही पौध विकास भी अच्छे से होता है | इसके अलावा इसके पौधों को मार्च के महीने में भी लगा सकते है |

लेमन ग्रास के पौधों की सिंचाई (Lemon Grass Irrigation)

इसके पौधों की रोपाई बारिश के मौसम में की जाती है, इसलिए इसके पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है | किन्तु अधिक मात्रा में पैदावार प्राप्त करने के लिए पौधों की सिंचाई करते रहना होता है | इसके पौधों की पहली सिंचाई पौध रोपाई के तुरंत बाद कर दी जाती है, तथा पौध अंकुरण तक खेत में नमी बनाये रखने के लिए दो से तीन दिन के अंतराल में पानी अवश्य दे | गर्मियों के मौसम में इसके पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता होती है, पौध अंकुरण के पश्चात् सप्ताह में एक बार तथा सर्दियों के मौसम में 20 दिन में पानी जरूर दे | इसके पौधे तीन माह पश्चात् पहली कटाई के लिए तैयार हो जाते है, तथा प्रत्येक कटाई के पश्चात् पौधों को पानी अवश्य दे |

लेमन ग्रास के पौधों पर खरपतवार नियंत्रण (Lemon Grass Plants Weed Control)

लेमन ग्रास के पौधों को आरम्भ के दो महीने तक खरपतबार से बचाना बहुत जरूरी होता है | खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक विधि निराई-गुडाई  का इस्तेमाल किया जाता है | इसकी पहली गुड़ाई को पौध रोपाई के 10 से 12 दिन बाद करना होता है, तथा उसके बाद की गुड़ाई 10 से 15 दिन के अंतराल में की जाती है | पौध कटाई के तुरंत बाद फसल की गुड़ाई अवश्य करे | इसके अलावा यदि आप रासायनिक विधि द्वारा खरपतवार पर नियंत्रण पाना चाहते है, तो उसके लिए आपको खेत में डायूरान और आक्सीफ्लोरफेन का छिड़काव करना होता है |

लेमन ग्रास के पौधों में लगने वाले रोग एवं उपचार (Lemon Grass Plants Diseases and Treatment)

दीमक

इस किस्म का रोग लेमन ग्रास के पौधों पर किसी भी अवस्था में देखने को मिल सकता है | किन्तु पौध अंकुरण के समय यह अधिक अक्रामक होता है | दीमकरोग से प्रभावित पौधा मुरझाकर पीला हो जाता है, तथा कुछ समय पश्चात् ही सम्पूर्ण पौधा सूखकर गिर जाता है | इस रोग से बचाव के लिए क्लोरोपाइरीफॉस  की उचित मात्रा का छिड़काव पौधों की जड़ों पर करे |

सफ़ेद मक्खी

सफ़ेद मक्खी का रोग नींबू घास के पौधों पर कीट के रूप में आक्रमण करता है, जिससे पैदावार अधिक प्रभावित होती है | इस रोग का कीट पत्तियों की निचली सतह पर रहकर उसका पूरा रस चूस लेते है, जिससे पौधा पीला पड़ने लगता है, और कुछ समय बाद ही पत्तिया सूखकर गिरने लगती है | इस रोग से बचाव के लिए मोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव पौधों पर किया जाता है

चूहों का प्रकोप

इसके पौधे खुशबूदार होते है, जिसकी पत्तियों से नींबू की तरह ही खुसबू उत्पन्न होती है | यह खुशबु चूहों को अपनी और आकर्षित करती है, जिस वजह से चूहे खेत में ही बिल बनाकर रहने लगते है | यह चूहे पत्तियों को काटकर खा जाते है, जिससे पैदावार प्रभावित होती है | लेमन ग्रास के पौधों को चूहों के प्रकोप से बचाने के लिए जिंक फास्फाइड या बेरियम क्लोराइड की उचित मात्रा का छिड़काव खेत में किया जाता है | Lemon Grass Farming

लेमन ग्रास के पौधों की कटाई, पैदावार और लाभ (Lemon Grass Plants Harvesting, Yield and Benefits)

लेमन ग्रास के पौधों को कटाई के लिए तैयार होने में 60 से 90 दिन का समय लग जाता है | इसके पौधे एक बार तैयार हो जाने पर 5 वर्ष तक पैदावार दे देते है| इसकी पहली कटाई पौध रोपाई के तीन माह बाद की जाती है, तथा हर कटाई के पश्चात् पैदावार में बढ़ोतरी देखने को मिलती है | पौध कटाई के समय एक बात का विशेष ध्यान रखना होता है, कि पौधों को 10 से 12 CM ऊपर से काटे, इससे नए पौधों का विकास अच्छे से होता है | Lemon Grass Farming

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इसके एक हेक्टेयर के खेत से तकरीबन 100 टन हरी घास प्राप्त हो जाती है, जिसे सूखाकर एक वर्ष में आसवन विधि द्वारा 500 KG तेल प्राप्त हो जाता है | इस तेल का बाज़ारी भाव 1200 रूपए प्रति किलो होता है, जिससे किसान भाई इसकी एक वर्ष कि पैदावार से प्राप्त तेल को बेचकर 3 से 4 लाख की कमाई कर अधिक मुनाफा कमा सकते है |

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