केले की खेती चमका देगी किसानो की किस्मत, जानिए खेती करने का आसान सा तरीका

0
केले की खेती चमका देगी किसानो की किस्मत, जानिए खेती करने का आसान सा तरीका

केले की खेती नकदी फसलों में एक प्रमुख स्थान रखती है. कुल मिलाकर, केले की खेती किसी भी किसान के लिए लाभदायक साबित हो सकती है. लेकिन इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि किसान केले की खेती के दौरान कुछ आवश्यक उपाय अपनाएं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि किसानों को वैज्ञानिक तरीकों से ही अपने खेत को केले की खेती के लिए तैयार करना चाहिए. इससे किसानों को बेहतर उत्पादन मिलेगा.

यह भी पढ़े :- Innova की पुंगी बजा देंगा Maruti Ertiga का प्रीमियम लुक, 26KM माइलेज के साथ लल्लनटॉप फीचर्स

राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ फलों के वैज्ञानिक डॉ. एस.के. सिंह ने लगातार शोध करने के बाद इस बात का पता लगाया है कि किसान कैसे अच्छी आमदनी कमा सकते हैं. आइए, उनसे जानते हैं कि कैसे मुख्य नकदी फसल केले की खेती का अधिकतम लाभ उठाया जा सकता है.

यह भी पढ़े :- Tata Punch की हवा टाइट कर देंगी Maruti की धांसू कार, फर्राटेदार इंजन के साथ फीचर्स भी झन्नाटेदार

सबसे पहले इन महत्वपूर्ण बातों को जान लेते हैं

केले की खेती को कैसे लाभदायक बनाया जा सकता है? इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानना जरूरी है. लेकिन उससे पहले कुछ बुनियादी बातों को समझना भी जरूरी है. इस बारे में बात करते हुए वरिष्ठ फलों के वैज्ञानिक डॉ. एस.के. सिंह बताते हैं कि केला एक ऐसा पौधा है जिसे भारी मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. केले की फसल उत्पादन की लागत का लगभग 30-40 प्रतिशत खाद और उर्वरक के रूप में खर्च हो जाता है. उर्वरकों की मात्रा, उनके डालने का समय, डालने की विधि, डालने की आवृत्ति, प्रजातियां, खेती करने का तरीका और उस विशेष स्थान की जलवायु इन सभी चीजों पर निर्भर करती है.

केले की खेती के लिए नाइट्रोजन जरूरी

डॉ. एस.के. सिंह के अनुसार, केले की सफल खेती के लिए सभी प्रमुख और सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है और उनकी मात्रा उनके कार्य और उपलब्धता के अनुसार निर्धारित की जाती है. प्रमुख पोषक तत्वों में नाइट्रोजन सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व है. केले के पूरे जीवन काल को दो भागों में बांटा गया है, वानस्पतिक वृद्धि का चरण, मिट्टी में उपलब्ध नाइट्रोजन और किस्म के अनुसार केले की सामान्य वानस्पतिक वृद्धि के लिए प्रति पौधा 200-250 ग्राम नाइट्रोजन देना चाहिए. नाइट्रोजन आमतौर पर यूरिया के रूप में दी जाती है. इसे 2-3 भागों में देना चाहिए.

केले की खेती में पोटेशियम की भूमिका महत्वपूर्ण

डॉ. एस.के. सिंह के अनुसार, खेत में पोटेशियम को सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है और इसकी उपलब्धता तापमान से प्रभावित होती है. फलों के बनने के दौरान पोटेशियम की निरंतर आपूर्ति आवश्यक है, क्योंकि यह फल बनने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. केले की वानस्पतिक वृद्धि के दौरान फल बनने के समय दो भागों में 100 ग्राम पोटेशियम देना चाहिए. प्रजातियों के आधार पर 300 ग्राम तक पोटेशियम की सिफारिश की जाती है. पोटाश की मात्रा के रूप में पोटेशियम का छिड़काव करें. अन्य केलों की तुलना में केले में अधिक पोटाश का उपयोग किया जाता है. मिट्टी में जहां पीएच मान 7.5 है और ड्रिप सिंचाई में पोटेशियम सल्फेट के रूप में पोटेशियम देना फायदेमंद होता है.

इसके साथ ही सूक्ष्म पोषक तत्वों में जिंक, आयरन, बोरॉन, कॉपर और मैंगनीज पौधों की सामान्य वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. 0.1 प्रतिशत जिंक सल्फेट, 0.005 प्रतिशत बोरॉन और 0.1 प्रतिशत मैग्नीशियम और 0.5 प्रतिशत फेरस सल्फेट का छिड़काव करने से उच्चतर प्राप्त होता है. एजोस्पिरिलियम और माइकोराइजा का उपयोग भी बहुत फायदा मिलता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

बहुचर्चित खबरें