किसानो को दोगुना मुनाफा करायेगी काले गेहूँ की खेती, जाने इसकी पूरी जानकरी

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किसानो को दोगुना मुनाफा करायेगी काले गेहूँ की खेती, जाने इसकी पूरी जानकरी

किसानो को दोगुना मुनाफा करायेगी काले गेहूँ की खेती, जाने इसकी पूरी जानकरी .भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां नई फसलों और बेहतर किस्मों की हमेशा तलाश रहती है। काली गेहूँ अपनी अनूठी विशेषताओं और अनेक स्वास्थ्य लाभों के कारण किसानों और उपभोक्ताओं के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है। ‘विटा ग्रीसियम’ के नाम से भी जानी जाने वाली काली गेहूँ एक प्राचीन अनाज है, जो आजकल अपने अद्भुत स्वास्थ्य लाभों के लिए काफी पसंद किया जा रहा है। इस गेहूँ को इसका विशिष्ट काला रंग एंथोसायनिन नामक एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट की उपस्थिति के कारण मिलता है। काली गेहूँ में एंथोसायनिन की मात्रा सफ़ेद गेहूँ की तुलना में कई गुना अधिक होती है, जिसके परिणामस्वरूप यह कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है।

काली गेहूँ स्वास्थ्य के लिए लाभकारी

काली गेहूँ स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है। इसमें एंथोसायनिन पिगमेंट की मात्रा अधिक होती है, जिसके कारण यह काली दिखाई देती है और सफ़ेद गेहूँ में एंथोसायनिन की मात्रा 5 से 15 पीपीएम होती है जबकि काली गेहूँ में यह 40 से 140 पीपीएम तक होती है। काली गेहूँ में एंथोसायनिन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है और यह दिल का दौरा, कैंसर, डायबिटीज, मानसिक तनाव, घुटने के दर्द, एनीमिया जैसी बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति के लिए बहुत अच्छा होता है।

आसान तरीके से करें काली गेहूँ की खेती

आपको बता दें कि इस फसल की खेती के लिए नवंबर महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है। और काली गेहूँ के लिए नमी बहुत जरूरी है और अगर नवंबर के बाद काली गेहूँ की बुवाई कर दी जाए तो उपज में कमी आती है। और इस फसल में काली गेहूँ में जिंक और यूरिया मिलाया जाता है और DAP को डालने के लिए ड्रिल का उपयोग किया जाता है और गेहूँ की बुवाई के समय आपको प्रत्येक खेत में 50 किलो DAP, 45 किलो यूरिया, 20 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश और 10 किलो जिंक सल्फेट का उपयोग करना चाहिए, फिर पहली सिंचाई के समय 60 किलो यूरिया डालना चाहिए।

काली गेहूँ की सिंचाई

इस लेख में हम आपको काली गेहूँ की सिंचाई के बारे में बता रहे हैं और इस फसल को लगाने के बाद कम से कम 15 दिन बाद सिंचाई की जाती है और बालियां निकलने से पहले और दाने पकने के समय सिंचाई जरूर करनी चाहिए और काली गेहूँ की इस नई किस्म को नेशनल एग्रीकल्चर फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट नाबी, मोहाली, पंजाब ने विकसित किया है।

काली गेहूँ की पैदावार और मुनाफा

यहां हम आपको इस फसल से होने वाले मुनाफे और इस फसल की कीमत के बारे में बताते हैं जबकि सामान्य गेहूँ की कीमत केवल 2,000 रुपये प्रति क्विंटल होती है। और एक अध्ययन के अनुसार, 1 बीघा में 1000 से 1200 किलो काली गेहूँ का उत्पादन किया जा सकता है। इस गेहूँ की दर 50 रुपये प्रति किलो से अधिक है।

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