Groundnut Cultivation मूंगफली की उन्नत किस्में और खेती की तकनीक, जिससे दोगुना होगा उत्पादन

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Groundnut Cultivation मूंगफली भारत का प्रमुख तिलहन है। इसे क्लॉज के बादाम के नाम से भी जाना जाता है। मूंगफली का खाने में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है. मूंगफली खाने से शरीर स्वस्थ रहता है। मूंगफली की बाजार में साल भर मांग रहती है।

Groundnut Cultivation

ऐसे में मूंगफली की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है. लेकिन मूंगफली की खेती से ज्यादा उगाने के लिए अच्छी मिट्टी, पौधारोपण, उन्नत उद्घोषणा और खाद का चुनाव करना बहुत जरूरी है। आज के इस लेख में हम आपको मूंगफली की खेती के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं।

आइये पहले जानते हैं मूंगफली के लिए उपयुक्त आजीविका-
मूंगफली की खेती करने से पहले यह जांच करना आवश्यक है कि आपका क्षेत्र विकास के लिए उपयुक्त है या नहीं। मूँगफली के चौखटे ज्यादा बारिश वाली सड़कों को नहीं लेते हैं। इसकी खेती कृषि में बहुत की जाती है। सूर्य के पास अधिक प्रकाश और अधिक ऊष्मा नलिका है। वैसे तो ज्यादातर राज्यों में मूंगफली की खेती होती है, लेकिन जहां तापमान ज्यादा होता है, वहां किराए की इजाजत होती है। मूंगफली कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस तापमान के लिए अच्छी होनी चाहिए।

खेती के लिए उपयुक्त समय
मूंगफली की खेती साल भर की जा सकती है लेकिन खरीफ की फसल के लिए जून के दूसरे सप्ताह तक बुवाई के लिए उपलब्ध रहती है। बुआई का समय 15 जून से 15 जुलाई तक संभव है। आपको बता दें कि जायद सीजन (गर्मी में खरीफ और रबी के बीच) में अगर मूंगफली की कटाई की जाती है तो इसमें बीमारी का प्रकोप बहुत कम होता है। गेहूँ की फसल के बाद जायद गेहूँ की बुआई की जा सकती है।

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उपयुक्त मिट्टी
मूंगफली की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है, जिसका चरण मान 6-7 के बीच हो सकता है। मिट्टी को जला देना चाहिए। मूँगफली की खेती कठोर, मटियार और जलभराव वाली मिट्टी में संभव नहीं है।

उन्नत मूंगफली सूचना
मूंगफली के कई उन्नत संस्करण मौजूद हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं।

HNG 10: फ्लेक्स लगने के बाद यह 120 से 130 दिन में तैयार हो जाता है। इसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 20 से 25 क्विंटल तक होता है। इसमें 51 प्रतिशत तेल की मात्रा होती है। दानों का रंग भर जाता है।

आर. जी. 425: यह कम फैलाव वाली दुर्घटना है। इसका रेशेदार रंग सड़न नामक रोग के प्रति प्रतिरोधी होता है। यह 120 से 125 दिन में तैयार हो जाती है। इसका उत्पादन 28 से 36 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है। दानों का रंग चमकीला हो जाता है।

HNG 69: इसके शत-प्रतिशत हेक्टेयर में 25 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है। इसकी विशिष्ट, तना सड़न और रंग सड़न होती है। यह 120 दिनों के बाद तैयार होता है।

RG 382: यह 120 दिनों के बाद तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इसके दाने बड़े आकार के होते हैं। प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल तक उत्पादन होता है।

गिरनार 2: इसकी उपज 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है। दानों का आकार मोटा होता है। इसके अलावा जीजी 20, झुमका प्रजाति, टीजी 37ए, जीजी 7, आरजी 120-130, एमए 10 125-130, एम-548 120-126, एके 12, सी 501 भी मूंगफली पसंद है।

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मूंगफली के खेत की तैयारी
मूंगफली बोने से पहले खेत की तीन से चार बार अच्छी तरह जुताई कर लें। इसके बाद तेज धूप मिट्टी को। खेत में गाय के पुराने गोबर को मिलाकर खाद बना लें। इसके बाद खेत में मिट्टी को अच्छी तरह जमाकर भुरभुरा रहने के लिए समतल कर लें। इसके अलावा खेत तैयार करते समय जिप्सम 2.5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें।

मूंगफली की फसल की बुआई
मूंगफली बोने की विधि बौनी किस्म पर निर्भर करती है। बोने से पहले बीजों में रोग के जोखिम को कम करने के लिए थीरम, मैनकोजेब या कार्बेन्डाजिम से बीजों का उपचार करें। अगर आप बीज बो रहे हैं तो कतारों के बीच की दूरी 15 सेंटीमीटर रखें और उन्हें 5 से 6 सेंटीमीटर की गहराई पर जमीन में गाड़ दें। यदि आप कम फैलने वाली किस्म लगा रहे हैं तो पंक्तियों के बीच 30 सेमी की दूरी रखें, यदि अधिक फैलने वाली किस्म लगा रहे हैं तो दूरी 50 सेमी तक रखें। कम फैलने वाली किस्मों के लिए लगभग 75 से 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा की आवश्यकता होती है और अधिक फैलने वाली किस्मों के लिए 60 से 70 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज की मात्रा आवश्यक होती है।

मूंगफली की फसल की सिंचाई
मूंगफली की फसल को अधिक पानी की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, पौधों के फूलों और फलियों के निर्माण के दौरान नमी की आवश्यकता होती है। लेकिन सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि खेत में पानी जमा न हो।

मूंगफली की फसल में खाद एवं खाद
मूंगफली की फसल के लिए अधिक उर्वरकों की आवश्यकता होती है। खेत में गाय के पुराने गोबर से बनी खाद का प्रयोग करें। नीम की खली पौधों की वृद्धि और अच्छी उपज के लिए बहुत अच्छी होती है। अंतिम जुताई के समय 400 किग्रा नीम की खली प्रति हेक्टेयर की दर से डालें। और एन.पी.के. इसका 60 किग्रा प्रति हे0 प्रयोग करें।

मूंगफली की फसल में खरपतवार नियंत्रण
मूंगफली की फसल को खरपतवारों से बचाना बहुत जरूरी है। यदि समय पर खरपतवार नियंत्रण नहीं किया गया तो फसल को 30 से 40 प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है। खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें। रासायनिक उपचार के लिए 500 लीटर पानी में 3 लीटर पेंडीमिथालिन मिलाकर बीज बोने से दो दिन पहले और दो दिन बाद खेत में छिड़काव करें।

मूंगफली के पौधों में बीज सड़न, लीफ स्पॉट जैसी बीमारियों का खतरा रहता है। बीज सड़न से बचने के लिए बीजों को थीरम से उपचारित कर खेत में उगाना चाहिए। टिक्का रोग जिसमें पत्तियों पर धब्बे पड़ जाते हैं। इससे बचने के लिए कार्बेन्डाजिम रसासन की 200 ग्राम मात्रा को 100 लीटर पानी में मिलाकर 15-15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें। लीफ स्पॉट रोग से बचने के लिए डाइथेन एम-45 का पौधों पर 10 दिन के अंतराल पर दो से तीन बार छिड़काव करें। रोसेट रोग से बचाव के लिए पौधों पर उचित मात्रा में एमिडाक्लोरपिड का छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा मूंगफली में लीफ माइनर, जड़ सड़न, सफेद चोटी जैसे कई रोग पाए जाते हैं। इससे बचने के लिए उचित कीटनाशकों का प्रयोग करें।

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मूंगफली की फसल खोदना
मूंगफली की फसल 3 से 4 महीने बाद खोदी जाती है। जब पौधा पीला दिखने लगे और पत्तियाँ गिरने लगे तो उसे खोद लेना चाहिए। मूंगफली को खोदकर कड़ी धूप में सुखाया जाता है। ताकि उनमें मौजूद नमी दूर हो जाए और फफूंदी लगने का खतरा न रहे।

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मूंगफली की फसल में कमाई
मूंगफली का बाजार भाव करीब 40-50 रुपये प्रति किलो है। एक हेक्टेयर से 20 से 25 क्विंटल मूंगफली का उत्पादन होता है। इस तरह एक हेक्टेयर से 80 हजार तक का मुनाफा हो सकता है। यदि आप एक अच्छी उत्पादन किस्म लगाते हैं, तो आप प्रति हेक्टेयर 1 लाख तक का लाभ कमा सकते हैं।

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