बम्पर उत्पादन होने के बाद भी क्यों बढ़ रहे गेहूँ के दाम जाने क्या है असली वजह

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क्रांति दैनिक (10)

बम्पर उत्पादन होने के बाद भी क्यों बढ़ रहे गेहूं के दाम जाने क्या है असली वजह देश में गेहूं की कीमतें आसमान छू रही हैं, जबकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक गेहूं का उत्पादन मांग से अधिक है और निर्यात भी बंद है। आखिर महंगाई बढ़ाने वाला कौन है? यही सवाल आज हर किसी के जेहन में है।

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सरकार ने मुद्रास्फीति को कम करने के लिए खुले बाजार बिक्री योजना के तहत फरवरी महीने तक 80 लाख टन गेहूं निजी और सहकारी क्षेत्र को रियायती दरों पर बेचा था। इसके अलावा गेहूं का उत्पादन मांग से ज्यादा होने का अनुमान है और निर्यात भी बंद है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिरकार गेहूं की महंगाई कौन बढ़ा रहा है?

क्या व्यापारी, बड़ी खुदरा श्रृंखलाएं और गेहूं प्रसंस्करणकर्ता इसका स्टॉक कर रहे हैं? या फिर गेहूं आसमान में समा गया या जमीन में धंस गया। आखिर ऐसा क्या हुआ कि नई फसल आने के बाद भी गेहूं महंगा है? इस बीच, सरकार ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए 1 अप्रैल के बाद भी गेहूं व्यापारियों से स्टॉक घोषित करने का काम जारी रखने को कहा है। इसका मतलब साफ है कि समस्या कहां से आ रही है। जैसे ही गेहूं किसानों के हाथों से निकलकर व्यापारियों के हाथों में पहुंचता है, उसकी कीमत आसमान छूने लगती है.

उत्पादन मांग से अधिक होने के बाद भी महंगाई

दोस्तों, किसी भी फसल की कीमत बढ़ने के पीछे एक बड़ा कारण होता है। यह मांग और आपूर्ति के कारण होता है। अगर मांग ज्यादा है और आपूर्ति कम है तो चीजें महंगी होंगी। गेहूं की महंगाई 2021 के बाद भी बनी हुई है। वहीं केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने अपनी एक रिपोर्ट में संसद को बताया है कि 2021-22 में मांग 971.20 लाख टन थी। जबकि तब उत्पादन 1077.42 लाख टन था। बताया गया है कि फिलहाल देश में गेहूं की खपत करीब 1050 लाख टन सालाना है, जबकि उत्पादन इससे करीब 70 लाख टन ज्यादा है।

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कृषि मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2023-24 में गेहूं का उत्पादन 1120.19 लाख मीट्रिक टन होने का अनुमान है, जो कि पिछले वर्ष के 1105.54 लाख मीट्रिक टन उत्पादन से 14.65 लाख मीट्रिक टन अधिक है। गेहूं का उत्पादन खपत से 70 लाख टन ज्यादा है। गेहूं का निर्यात भी 13 मई 2022 से पूरी तरह बंद कर दिया गया है। किसान निर्यात खुलने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अभी भी घरेलू उपलब्धता बनाए रखने के लिए इस पर रोक लगा दी है। इसके बावजूद दाम कम नहीं हुए।

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