गाय के गोबर का खाद तो सुना ही होगा ,गाय के गोबर से चलने वाला दुनिया का पहला ट्रैक्टर T7 भी देख लीजिये

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Best Tractor:  आज के आधुनिक दौर में तकनीक भी एडवांस होती जा रही है. इन दिनों खेती-किसानी में भी तकनीक के नायाब उदाहरण देखने को मिल रहे है. कुछ तकनीकों ने खेती के लिए मिट्टी पर निर्भरता को खत्म कर दिया है तो कुछ तकनीकों ने पानी में खेती के जरिए पानी की बचत करने का मंत्र दिया है. खेती की लागत को कम करने के लिए मशीनीकरण और ग्रीन एनर्जी (Green Energy) के इस्तेमाल को तवज्जो दी जा रही है, हालांकि डीजल-पैट्रोल की मंहगाई से अभी-भी किसानों को राहत नहीं मिली है. कुछ किसान डीजल पंप से सिंचाई करते हैं, जिसे सोलर पंप से बदल दिया गया है, लेकिन अब कृषि ट्रांसपोर्टेशन के लिए इस्तेमाल होने वाले ट्रैक्टर में डीजल-पैट्रोल की खपत को कैसे कम करें?

इस सवाल का हल ब्रिटिश साइंटिस्ट ने निकाल लिया है. ब्रिटेन की एक सबसे बड़ी कंपनी के साथ मिलकर वैज्ञानिकों ने ऐसे ट्रैक्टर का आविष्कार किया है, जो गोबर से बने ईंधन की शक्ति से चलता है यानी डीजल, पैट्रोल या बिजली का कोई इस्तेमाल ही नहीं आजकल गोबर तो गांव की अर्थव्यवस्था को बदलने में अहम रोल अदा कर रहा है. ऐसे में वैज्ञानिकों के सहयोग से ब्रिटेन की इस ट्रैक्टर कंपनी के प्रयासों को कृषि के लिए क्रांतिकारी पहल माना जा रहा है

खेतो में जानवरो जैसे दौड़ेगा यह ट्रेक्टर बेहद ताकतवर है ये दस ट्रैक्टरों की ताकत रखता है यह ट्रैक्टरो का राजा T7

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गाय के गोबर से चलने वाला दुनिया का पहला ट्रैक्टर क्लाइमेट चेंज से निपटने में मिलेगी मदद
जलवायु परिवर्तन के कई कारण हैं. इनमें से एक प्रदूषण भी है. डीजल-पैट्रोल के इस्तेमाल से भी पर्यावरण काफी प्रदूषित हो रहा है. ऐसी स्थिति में गोबर से बने ईंधन से चलने वाले ट्रैक्टर खेती करने का तरीका बदलेंगे ही, खेती की लागत को भी कम करेंगे

गाय के गोबर से चलने वाला दुनिया का पहला ट्रैक्टर T7

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने गाय के गोबर से चलने वाला ट्रैक्टर बनाकर एक रिकॉर्ड बनाया है. यह ट्रैक्टर बेनामन कंपनी के द्वारा बनाया गया है. इस ट्रैक्टर के बारे में बताया जा रहा है कि यह दूसरे ट्रैक्टरों के बराबर परफॉर्म करता है और प्रदूषण भी कम करता है. इस ट्रैक्टर को पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित बताया जा रहा है. इस ट्रैक्टर के लिए करीब 100 गायों के गोबर को एकत्र कर बायोमीथेन में बदला गया है ट्रैक्टर में क्रायोजेनिक टैंक लगाया गया था जो तरल ईंधन को जलाए रखने का काम करता है. इस प्रकार ट्रैक्टर में ईंधन के रूप में गाय के गोबर का उपयोग किया गया है. वैज्ञानिकों के अनुसार गाय के गोबर से बनाए गए इस ईंधन से 270 बीएचपी का ट्रैक्टर आसानी से चल सकता है. उन्होंने बताया कि क्रायोजेनिक टैंक करीब 160 डिग्री का तापमान प्रोड्यूस करता है और बायोमीथेन को लिक्विफाइड करता है.

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गाय के गोबर से बनाई गयी मि‍थेन गैस

गाय के गोबर से जैविक खाद और बायो गैस बनाई जाती है. लेकिन अब उसी गोबर से मिथेन गैस बनाई जा रही है. जिसका इस्तेमाल ट्रैक्टर को चलाने में किया जा रहा है. यह चमत्कार ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने कर दिखाया है. ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने गाय के गोबर में पाई जाने वाली मिथेन गैस का इस्तेमाल ट्रैक्टर को चलाने में किया है. यह ठीक उसी प्रकार है, जिस प्रकार सीएनजी गैस का उपयोग कर हम गाड़ियां चलते आ रहे हैं मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, गाय के गोबर से चलने वाले 270 हॉर्स पावर के ट्रैक्टर को सामान्य डीजल इंजनों से चलने वाले ट्रैक्टर से सामने चलाकर इस ट्रैक्टर की क्षमता देखी गई. इस ट्रैक्टर के बारे में और अधिक जानकारी देते हुए कंपनी बेनमैन के सह-संस्थापक क्रिस मान ने बताया कि, “टी7 तरल मि‍थेन-ईंधन वाला पहला ट्रैक्टर है, जो कृषि उद्योग को डीकार्बोनाइज करने और एक भौगोलिक अर्थव्यवस्था को साकार करने की दिशा में उठाया गया कदम है.

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गाय के गोबर से चलने वाला दुनिया का पहला ट्रैक्टर T7 से प्रदूषण पर लगेगी लगाम

खेतों का जैविक पदार्थ सतत विकास के लिए बहुत ही जरूरी है. इसके अलावा किसानों को जरूरत होती है. तो एक ऐसे ट्रैक्टर की जो खेतों में मजबूती के साथ काम कर सके. ऐसे में बायोमि‍थेन से चलने वाला यह ट्रैक्टर काफी शानदार और आने वाले भविष्य की मांग भी है. इससे ना केवल प्रदूषण पर लगाम लगेगी. वहीं क‍िसानों के अतिरिख खर्च में भी कटौती करेगा. आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ट्रैक्टर के पूर्व-उत्पादन मॉडल का एक वर्ष के लिए परीक्षण किया गया था.

दक्षिण पश्चिम इंग्लैंड के कॉर्नवाल काउंटी में एक खेत में परीक्षण के दौरान, कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन केवल एक वर्ष में 2,500 मीट्रिक टन से 500 मीट्रिक टन तक कम हो गया था

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