डॉक्टर बनने गया बेटा घर आयी लाश – शोक में डूबा गांव, पिता के बाद अब बेटे की भी मृत्यु

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डॉक्टर बनने गया बेटा घर आयी लाश – शोक में डूबा गांव,पिता के बाद अब बेटे की भी मृत्यु

धार जिले के छोटे से गांव अवल्दा से मेडिकल की पढ़ाई करने गए युवक की नेपाल में 5 अगस्त को मौत हो गई। मां की सरकार से गुहार के बाद बेटे रोहित का शव 5 दिन बाद गांव लाया जा सका। उसकी मौत से इस मध्यमवर्गीय परिवार के सारे सपने टूटकर बिखर गए हैं। पूरे गांव में मातम है। मां ने बेटे को घर गिरवी रखकर पढ़ने 2015 में यूक्रेन भेजा था। बेटा मां से कहकर गया था डॉक्टर बनकर आऊंगा। सारा कर्ज उतार दूंगा। कोरोना और यूक्रेन में युद्ध के चलते बेटे को वहां पढ़ाई छोड़नी पड़ी। आखिरी सेमेस्टर के लिए जून में नेपाल में एडमिशन लिया। मां भी साथ गई थी। दो महीने में ही मां के सपने टूट गए। बुधवार को बेटे की वहां से लाश आई।

 दु:ख में डूबा रोहित का गांव

गुरुवार दोपहर दो बजे। अवल्दा गांव। गांव में बादल बरस रहे हैं और आंखें भी। एक दिन पहले बुधवार को इस गांव के एक घर में जवान बेटे की लाश आई है, जिस घर के कोने-कोने में सन्राटा सिर्फ रोने और बारिश की आवाज से टूट रहा है, उसकी दीवारों में सीलन है। दरारें हैं और मकान का पेंट उखड़ रहा है। साढ़े तीन लाख रुपए में मकान गिरवी है। परिवार ने अपना सबकुछ दांव पर लगाकर बेटे रोहित मालवीय को मेडिकल की पढ़ाई के लिए नेपाल भेजा था। मां ताराबाई से बेटा कहकर गया था- डॉक्टर बनकर आऊंगा। सारे कर्ज उतार दूंगा और गांव में अस्पताल भी खोलूंगा। छह दिन पहले 6 अगस्त को खबर आई की एक ही दिन में तीन बार दिल का दौरा पड़ा और रोहित हमेशा के लिए सबको छोड़कर दुनिया से चला गया।

अंतिम समय में बेटे को देखने की इच्छा मां ताराबाई ने की थी। जनप्रतिनिधियों की मदद से गुहार जब सरकार तक पहुंची तो केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया व प्रदेश के सीएम शिवराजसिंह चौहान ने संवेदना दिखाई। मंगलवार को एयर इंडिया की फ्लाइट से पार्थिव शरीर को दिल्ली लाया गया। वहां से इंडिगो एयरलाइंस के विमान से शव को इंदौर भेजा गया था। इसके बाद धार कलेक्टर डॉ. पंकज जैन ने वाहन की व्यवस्था कराकर शव को सड़क मार्ग अवल्दा भिजवाया।

पशुपतिनाथ के सामने आखिरी बार मां-बेटे

24 जून को रोहित को नेपाल में एडमिशन मिला था। उस समय वह मां ताराबाई को अपने साथ नेपाल ले गया था। मां-बेटे ने पशुपतिनाथ मंदिर में दर्शन किए थे। मंदिर के बाहर मां के साथ सेल्फी भी ली थी। इसमें मां का चेहरा खुशी से चमक रहा था। किसे पता था कि ये मां-बेटे की संग-संग आखिरी तस्वीर है।

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6 साल पहले ही पिता का निधन

रोहित के पिता का निधन 6 साल पहले हो गया था। अब घर में छोटा भाई अक्षय और मां ताराबाई ही थे। छोटा भाई अक्षय धामनोद के निजी कॉलेज में पढ़ाई करता है। परिवार की आय का साधन गांव में ही स्थित एक छोटी किराना दुकान और 2 बीघा खेत है। पिता की मौत के बाद मां ने जैसे-तैसे भाई व रिश्तेदारों से रुपयों की व्यवस्था करके पढ़ाई के लिए पहले यूक्रेन भेजा था, जहां से रोहित ने न्यू टोकियो मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेकर पढ़ाई की थी।

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