Cultivation of Kalonji मंडी में 25 हज़ार प्रति क्विंटल के दाम पर बिकती है ये फसल, उगाना भी है आसान
Cultivation of Kalonji मंडी में 25 हज़ार प्रति क्विंटल के दाम पर बिकती है ये फसल, किसानों ने कम मेहनत और कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाने के लिए औषधीय फसलों और मसालों की खेती शुरू कर दी है। यही फसलें अब किसानों की आय का मुख्य स्रोत बन रही हैं। इन्हीं फसलों में से एक है कलौंजी। कलौंजी के छोटे-छोटे बीज होते हैं. जिनका रंग काला होता है। मसालों के साथ-साथ इसका इस्तेमाल दवाई बनाने में भी किया जाता है।
कलौंजी के बीज में फैट, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन अच्छी मात्रा में होता है. इसका उपयोग चिकित्सा उपचार में किया जाता है। बाजार में कलौंजी काफी महंगे दामों में बिकती है. यह एक नकदी फसल है। जिसकी खेती कर किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। आइए जानते हैं कलौंजी की खेती के बारे में पूरी जानकारी।
Cultivation of Kalonji
कलौंजी की खेती शुरू करने से पहले जरूरी बातें-
कलौंजी एक नकदी फसल है, इसकी खेती शुरू करने से पहले कृषि विशेषज्ञ से उचित जानकारी ले लें. कलौंजी की फसल के लिए अधिक जैविक मिट्टी की आवश्यकता होती है. इसलिए बीज बोने से पहले मिट्टी की जांच कराएं और जैविक पदार्थ की कमी को दूर करें। कलौंजी की खेती के लिए उन्नत किस्म के रोग प्रतिरोधी बीजों का चयन करें.
कलौंजी की खेती के लिए दिशा-निर्देश-
रेतीली, दोमट, काली और अच्छे जल निकास वाली मिट्टी कलौंजी के लिए सबसे उपयुक्त होती है। भूमि का पीएच मान 6 से 7 के बीच होना चाहिए। बीज विकास के समय मिट्टी में नमी का होना आवश्यक है।
कलौंजी के पौधे ठंडी और गर्म दोनों ही तरह की जलवायु में पनपते हैं। कलौंजी को अंकुरण और वृद्धि के समय ठंडे तापमान और पकने के समय गर्म तापमान की आवश्यकता होती है। कलौंजी को सितंबर से अक्टूबर के बीच बोया जाता है. इसके बीजों के अंकुरण के लिए सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है। वहीं अगर पकने के समय बारिश हो जाए तो फसल बर्बाद हो जाती है।
खेत की तैयारी
कलौंजी के बीज बोने से पहले खेत की गहरी जुताई कर लेनी चाहिए। इसके बाद खेत को कुछ समय के लिए छोड़ देना चाहिए, ताकि मिट्टी को धूप मिले और खराब बैक्टीरिया मर जाएं। इसके बाद गाय के गोबर और पत्तों की खाद को अच्छी तरह मिला लें। रोटावेटर की सहायता से मिट्टी को ढीला कर दें।
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बीज बोना
कलौंजी के बीज बोने से पहले केप्टन, थीरम और वैविस्टिन से उपचारित कर लें। इसके बीज छिड़काव विधि या पंक्ति विधि द्वारा बोए जाते हैं। सीधी बुवाई के लिए एक हेक्टेयर के लिए लगभग 7 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। पंक्ति विधि में बीजों के बीच की दूरी 30 सेंटीमीटर रखें तथा गहराई 2 सेंटीमीटर से अधिक न रखें. कतार विधि से बीज बोने से पौधों की अच्छे तरीके से देखभाल की जा सकती है। आप कलौंजी के बीज ऑनलाइन मंगवा सकते हैं या स्थानीय कृषि समिति से संपर्क कर बीज प्राप्त कर सकते हैं।
सिंचाई– कलौंजी की फसल को सिंचाई की बहुत आवश्यकता होती है. आमतौर पर 5 से 8 सिंचाइयां की जाती हैं। हालाँकि सिंचाई की मात्रा फसल के प्रकार पर निर्भर करती है, कुछ किस्मों को अधिक पानी की आवश्यकता होती है, कुछ सामान्य सिंचाई से अच्छा उत्पादन देती हैं।
खरपतवार से बचाव और खाद
सौंफ की तरह होते हैं कलौंजी के पौधे, खरपतवार से बचना जरूरी जैसे ही पौधा बड़ा हो जाए, निराई-गुड़ाई करके खरपतवार निकाल दें। कलौंजी की फसल को अधिक मात्रा में उर्वरकों की आवश्यकता होती है. कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेकर खाद डालें।
कलौंजी की उन्नत किस्में-
NS-44– यह कलौंजी की सबसे अधिक उपज देने वाली किस्म है। यह अन्य किस्मों की तुलना में 20 दिन देरी से पकती है। इसे पूरी तरह तैयार होने में 150 से 160 दिन का समय लगता है। लेकिन यह किस्म 40 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन दे सकती है।
NRCSSAN1-135- यह किस्म 135 से 140 दिनों में पक जाती है। पौधे 2 फुट ऊँचे होते हैं। इससे 12-15 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है। यह दूषण रोधी है।
आजाद कलौंजी– यह किस्म उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा उगाई जाती है। यह 130 से 135 दिनों में पकने के बाद तैयार हो जाती है। 8 से 10 क्विंटल उत्पादन होता है।
NS32-परिपक्व होने में 140 से 150 दिन लगते हैं। इसकी उत्पादन क्षमता 5-6 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
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इसके अलावा अजमेर कलौंजी, कालजीरा, राजेंद्र श्याम और पंत कृष्णा कलौंजी की उन्नत किस्में हैं। कलौंजी की फसल आमतौर पर 130 से 140 दिन में तैयार हो जाती है. कलौंजी की फसल से पौधे जड़ समेत उखड़ जाते हैं। इसके बाद पौधों को धूप में सुखाया जाता है। इसके बाद बीज या दाना निकालने के लिए पौधों को लकड़ी पर पीटा जाता है और दाना इकट्ठा किया जाता है।
क्या मिलता है भाव-
बाजार में कलौंजी की कीमत करीब 500 से 600 रुपये प्रति किलो है. इसे कृषि मंडियों में 20 हजार से 25 हजार प्रति क्विंटल की दर से बेचा जाता है।