Cultivation of Broccoli ब्रोकली की खेती से जुड़ रहे हैं लाखों करोड़ों किसान, जाने सफल खेती करने का सही तरीका!

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Cultivation of Broccoli ब्रोकली एक विदेशी सब्जी है, भारत में इसे बड़े मॉल और बाजारों में बेचा जाता है। इसकी सब्जी को लोग बड़े चाव से खाते हैं। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग इसका भरपूर सेवन करते हैं। यही कारण है कि शहरी बाजारों में इसकी काफी मांग है और खेती करने वाले किसान इससे अच्छी कमाई करते हैं। ब्रोकली की खेती के लिए नर्सरी तैयार करने का यह सही समय है। तो आइए जानते हैं ब्रोकली की खेती की कुछ खास बातें और इसकी बुवाई का सही तरीका।

Cultivation of Broccoli

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उपयुक्त मिट्टी और जलवायु

ब्रोकली की फसल की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है, लेकिन अच्छी उपज के लिए उच्च कार्बनिक पदार्थ वाली बलुई दोमट मिट्टी को बेहतर माना जाता है। ब्रोकली की खेती के लिए 18 से 23 डिग्री के बीच का तापमान बेहतर माना जाता है। ठंडी जलवायु इसकी खेती के लिए अच्छी मानी जाती है।

फसल काटने का सही समय

ब्रोकली को उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में सर्दियों के मौसम में यानी सितंबर के मध्य से फरवरी तक उगाया जा सकता है। पौधा सितंबर के मध्य से नवंबर के प्रारंभ तक तैयार किया जा सकता है, बीज बोने के लगभग 4 से 5 सप्ताह में इसका पौधा खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाता है। इसकी नर्सरी फूलगोभी की नर्सरी की तरह ही तैयार की जाती है.

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ब्रोकली उगाने का सबसे अच्छा तरीका-

अपनी ब्रोकली को एक ऐसे स्थान पर रोपें जो दिन में कम से कम 6 घंटे धूप में और उपजाऊ, अच्छी जल निकासी वाली, कार्बनिक पदार्थों से भरपूर नम मिट्टी में रोपें। मल्च जमीन को ठंडा और नम रखने में मदद करेगा। इष्टतम विकास के लिए और क्लबरूट रोग को हतोत्साहित करने के लिए मिट्टी का पीएच 6.0 और 7.0 के बीच होना चाहिए।

उन्नत किस्में

ब्रोकली की किस्में मुख्य रूप से सफेद, हरी और बैंगनी रंग की होती हैं। इनमें से हरी किस्में लोगों द्वारा पसंद की जाती हैं, यह बहुत ही गुणकारी सब्जी है। ब्रोकोली की प्रमुख किस्में नाइन स्टार, पेरिनियल, इटैलियन ग्रीन स्प्राउटिंग या सेलेब्रस, बाथम 29 और ग्रीन हेड हैं। पूसा ब्रोकोली, केटीएस 01, पालम समृद्धि, पालम कंचन और पालम विचित्र भारत में उगाई जाने वाली ब्रोकली की प्रमुख किस्में हैं। आप चाहें तो हाईब्रिड किस्म की भी खेती कर सकते हैं। हाइब्रिड किस्मों में पाइरेट पेक, प्रीमियम क्रॉप, क्लिपर, क्रॉसर, स्टिक और ग्रीन सर्फ शामिल हैं।

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रोपण

एक हेक्टेयर खेत के लिए 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50-60 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई गाय का गोबर और 60 किलोग्राम फास्फोरस की आवश्यकता होती है। रोपाई से पहले गोबर और फास्फोरस उर्वरकों को मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें। नाइट्रोजन उर्वरक को 2 या 3 भागों में बांटकर रोपाई के 25, 45 और 60 दिन बाद प्रयोग करना चाहिए। एक हेक्टेयर खेत में ब्रोकली की बुवाई के लिए 400 से 500 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। पौधा तैयार होने के बाद पहले से तैयार खेत में ले जाकर रोप दें। रोपाई के समय कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर रखनी होती है।

सिंचाई

ब्रोकली को 10 से 12 दिन के अंतराल पर पानी देना है। पहली दो सिंचाई के बाद निराई-गुड़ाई करें और खरपतवार निकाल दें। जिस खेत में इनकी खेती की जाती है, उसे साफ रखना जरूरी है। सिंचाई के समय खेत में पानी जमा न होने दें, क्योंकि यदि खेत में अधिक पानी जमा हो गया तो ब्रोकली की फसल खराब हो सकती है।

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पैदावार-

ब्रोकली में जब फल सामान्य आकार के हो जाएं तब इसकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए। आम तौर पर फसल 60 से 65 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। ब्रोकली की अच्छी फसल से प्रति हेक्टेयर लगभग 12 से 15 टन उपज मिल सकती है। कृषि वैज्ञानिक की सलाह है कि पिछले साल जिस खेत में ब्रोकली लगाई थी, वहां इस साल न लगाएं। यह देखा गया है कि पुरानी फसल के अवशेष विभिन्न प्रकार के कीटों को आश्रय देते हैं और उसी खेत में फिर से बुवाई करने पर उपज प्रभावित होती है।

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