Butter Tree च्यूरा के पेड़ से बनता है घी, हर हिस्से में है औषधीय गुण!

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हमारी प्रकृति में कई ऐसी चीजें मौजूद हैं जिनके आधार पर मानव जीवन संभव है। आज इस कड़ी में हम एक ऐसे पेड़ के बारे में जानकारी शेयर करने जा रहे हैं जिससे घी बनाया जाता है। इस खास पेड़ का नाम है कल्पवृक्ष जिसे स्थानीय भाषा में च्यूरा पेड़ भी कहा जाता है और कई लोग इसे बटर ट्री भी कहते हैं। इस पेड़ की खास बात यह है कि इसका हर हिस्सा बहुउपयोगी माना जाता है। लकड़ी से लेकर फूल, पत्ते, जड़ और फलों का इस्तेमाल किसी न किसी काम में किया जाता है।

Butter Tree

च्यूरा का पेड़
च्यूरा का पेड़ उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल में विशेषकर पनार, रामगंगा, अल्मोड़ा की काली, पिथौरागढ़, बागेश्वर एवं चंपावत जिलों में पाया जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुमाऊं मंडल में करीब 60 हजार च्यूरा के पेड़ हैं और इनमें से 40 हजार पेड़ों से बीज और फल प्राप्त होते हैं। च्यूरा के पेड़ के खिलने का समय जनवरी से शुरू होकर अक्टूबर तक रहता है। इसके फल बहुत ही स्वादिष्ट, मीठे, सुगंधित और रसीले होते हैं, जिन्हें बच्चे समेत जानवर बड़े चाव से खाते हैं।

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इस पेड़ के बीजों से घी बनाया जाता है।
च्यूरा का पेड़ बहुउद्देश्यीय होता है, लेकिन इसका सबसे महत्वपूर्ण उपयोग घी बनाने में होता है। च्यूरा के बीज से घी बनाने की प्रक्रिया दो प्रकार की होती है-

पारंपरिक रूप से घी बनाना :– च्यूरा के पेड़ के फल का सेवन किया जाता है, फिर उसकी गुठली को सुखाया जाता है। सूखने के बाद इसे भून लिया जाता है, जिसके बाद इसे जल्दी से ओखली में कूट लिया जाता है। कूटने पर इसकी बारीक लोइयां बनकर तैयार हो जाती हैं. फिर इसे निकालकर कपड़े की मदद से निचोड़ लें। जिसके बाद छना हुआ तेल कुछ ही देर में घी का रूप ले लेता है।

मशीनों से घी बनाना:-च्यूरा के बीजों से घी बनाने के लिए भी मशीनों का प्रयोग किया जाता है। जिससे श्रम शक्ति में कमी आती है और समय की भी बचत होती है।

च्यूरा के पेड़ की विशेषता
च्यूरा के पेड़ का हर हिस्सा उपयोगी माना जाता है। चिउरा का पेड़ दिखने में बड़ा और मजबूत होता है। पहाड़ों पर मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए इसकी मजबूत जड़ें बहुत उपयोगी होती हैं, इसलिए जहां इन पेड़ों की संख्या अधिक होती है, वहां भूस्खलन की घटनाएं बहुत कम होती हैं। च्यूरा के पेड़ की पत्तियों का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है। यह दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन में वृद्धि करता है। इसके साथ ही चिउरा के पेड़ को धार्मिक अनुष्ठानों में बहुत शुभ माना जाता है, इसके पत्तों का उपयोग शुभ कार्यों और पूजा में किया जाता है। च्यूरा के पत्तों का उपयोग डिस्पोजल प्लेट और बर्तन बनाने के लिए किया जाता है। इसके अलावा चिउरा के बीजों की खली को जलाने से मच्छर और हानिकारक कीड़े भाग जाते हैं। च्यूरा के बीज से बने घी का उपयोग घर में दीपक जलाने के लिए भी किया जाता है। मोमबत्ती के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। इससे निकलने वाला प्रकाश तेज प्रकाश देता है और मधुर सुगंध से वातावरण को पवित्र करता है। इससे निकलने वाला कार्बन भी पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता है। पिसे हुए मेवों से बना घी भी त्वचा के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। सर्दियों में शुष्क त्वचा और त्वचा की दरारों को रोकने के लिए लोशन के रूप में उपयोग किया जाता है। इसके अलावा ब्यूटी प्रोडक्ट्स में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

च्यूरा के पेड़ की लकड़ी बहुत मजबूत और वजन में हल्की होती है, जो पानी में सड़ती नहीं है। इस कारण इसकी शाखाओं का उपयोग फर्नीचर और निर्माण में किया जाता है।

च्यूरा की लकड़ी का उपयोग नाव बनाने में भी किया जाता है।

इसकी लकड़ी का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है, जिससे बहुत कम धुआं निकलता है।

च्यूरा को ईंधन के रूप में जलाने के बाद उसकी राख का उपयोग बर्तन साफ ​​करने में किया जाता है।

च्यूरा से साबुन भी बनाया जाता है, जो बाजार में 80 से 150 रुपये में बिकता है।

च्यूरा के फूलों के रस से मधुमक्खियां शहद बनाती हैं, जो बहुत ही गुणकारी माना जाता है।

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च्यूरा के पेड़ में औषधीय गुण होते हैं
1. चिउरा के पेड़ में कई औषधीय गुण होते हैं। इसके फूलों से प्राप्त शहद का उपयोग मधुमेह और दमा के रोगियों के उपचार के लिए किया जाता है।

2. च्यूरा की जड़ से टॉनिक बनाया जाता है और इसका उपयोग रोगों में किया जाता है।

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