Berseem ki kheti अगर आप बरसीम के चारे को मजबूत बनाना चाहते हैं तो बुआई में डालें ये पोषक तत्व!
Berseem ki kheti पशु आहार में बरसीम का महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी बुआई अक्टूबर से ही शुरू हो जाती है। कई किसान इसकी बुआई 15 नवंबर तक कर लेते हैं। बरसीम की बुआई करते समय सबसे जरूरी है कि मिट्टी में उचित मात्रा में खाद और अन्य पोषक तत्व मिलाए जाएं। यदि मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी होगी तो चारा भी पौष्टिक नहीं होगा। परिणामस्वरूप हमारे पशुओं को उस चारे से कैल्शियम व अन्य तत्व नहीं मिल पाएंगे जो उन्हें स्वस्थ रखने व भरपूर दूध देने में सहायक होते हैं। कुछ किसानों का मानना है कि खाद और पोषक तत्व मिलाने से चारा जहरीला हो जाता है। उनकी यह सोच पूरी तरह सही नहीं है। यदि उर्वरकों और पोषक तत्वों का संतुलित उपयोग किया जाए तो न तो फसल पर कोई दुष्प्रभाव पड़ता है और न ही इसे खाने वाले मनुष्यों या पशुओं पर। समस्या तब उत्पन्न होती है जब उर्वरकों, कीटनाशकों या सूक्ष्म पोषक तत्वों का अंधाधुंध प्रयोग किया जाता है। इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि कैसे उचित खाद प्रबंधन द्वारा बरसीम में अधिक पौष्टिक चारा प्राप्त किया जा सकता है।
Berseem ki kheti
देशी खाद अमृत है
अच्छी तरह सड़ी गोबर की खाद किसी भी फसल के लिए अमृत समान होती है। इसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व होते हैं। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के अनुसार बरसीम की बिजाई से पहले प्रति एकड़ 6 टन गोबर की खाद डालनी चाहिए। गाय का कच्चा गोबर कदापि न डालें। इससे बरसीम का अंकुरण बाधित होता है। Berseem ki kheti
डी.ए.पी. के स्थान एस.एस.पी. पर प्रयोग करें
बरसीम में डीएपी (D.A.P) का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसकी जगह सिंगल सुपर फास्फेट (एस.एस.पी.) का प्रयोग करना चाहिए। इस कारण डी.ए.पी. इससे केवल फास्फोरस तथा नाइट्रोजन ही प्राप्त होता है। जबकि एस.एस.पी. इससे मिट्टी को फास्फोरस, गंधक और कैल्शियम भी प्राप्त होता है। यदि किसान एस.एस.पी. उपयोग बरसीम में कैल्शियम और सल्फर की मात्रा की पूर्ति होती है। पशुओं के लिए फास्फोरस और कैल्शियम बहुत जरूरी है। कैल्शियम और फास्फोरस जानवरों की हड्डी और दांतों के मुख्य भाग होते हैं। फास्फोरस की कमी से ऊर्जा उपयोग में कमी आती है। इससे पिका नामक रोग भी हो जाता है जिससे पशु कपड़े, जूते आदि खाने लगता है। छोटे बच्चों के दुग्ध उत्पादन और विकास में कैल्शियम का महत्वपूर्ण योगदान होता है। Berseem ki kheti
इसलिए चारे में कैल्शियम व फास्फोरस की उचित मात्रा होना जरूरी है। यदि हम चारे में ही कैल्शियम की आपूर्ति कर दें तो हमें पशु को अतिरिक्त कैल्शियम या फॉस्फोरस देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना के मुताबिक अगर 6 टन गोबर की खाद खेत में डालें तो 125 किलो एस.एस.पी. बुवाई के समय प्रति एकड़ बरसीम का प्रयोग करें। यदि गाय का गोबर नहीं लगाया गया है तो किसान 185 किग्रा एसएसपी लगा सकता है। तथा 25 किग्रा यूरिया बुवाई के समय डालें।
पोटाश गलन से बचाए
बरसीम के लिए भी पोटाश जरूरी होता है। बुवाई (बरसीम की खेती) के समय प्रति एकड़ 25 किग्रा पोटाश देना चाहिए। पोटाश जहां पौधे को मजबूत बनाता है वहीं बरसीम में तना सड़न रोग से भी बचाता है। अगर हमें बीज भी बनाने पड़ें तो यह बीजों को स्वस्थ और अच्छा आकार देने में भी मदद करता है। Berseem ki kheti
बरसीम की खेती में मैग्नीशियम भी महत्वपूर्ण
मैग्नीशियम भी एक आवश्यक पोषक तत्व है। आमतौर पर किसान इसे नजरअंदाज कर देते हैं। यह जानवरों के लिए भी बहुत जरूरी है। यदि हम पशुओं के चारे में इसकी आपूर्ति कर दें तो हमारे पशुओं में इसकी कमी नहीं होगी। एक एकड़ में बरसीम की बुवाई से पहले खेत तैयार करते समय 5 किग्रा मैग्नीशियम का प्रयोग करना चाहिए।
जिंक मत भूलना
जिंक तत्व पशु के शरीर में 20 एंजाइमों की गतिविधि को बनाए रखने में मदद करता है। जिंक की कमी से पशु (जिंक की कमी मवेशियों में) कम चरने लगते हैं। सींग और खुर कमजोर हो जाते हैं। शराब का चक्र प्रभावित होता है और गर्भधारण में बाधा आती है। यही कारण है कि पशु आहार में जिंक की कमी नहीं होनी चाहिए। बरसीम में जिंक की आपूर्ति के लिए 5 से 7 किग्रा जिंक सल्फेट प्रति एकड़ खेत की तैयारी के समय देना चाहिए। Berseem ki kheti
जिप्सम बढ़ाएँ जल अवशोषण क्षमता
जिप्सम में कैल्शियम और सल्फर सहित कई पोषक तत्व होते हैं। यह मिट्टी को मुलायम बनाता है और मिट्टी की जल सोखने की क्षमता को भी बढ़ाता है। इसलिए बरसीम में जिप्सम जरूर डालना चाहिए। यह उन खेतों के लिए और भी जरूरी है, जहां पानी जल्दी सोख नहीं पाता और बरसीम के सड़ने का डर रहता है। बिजाई की तैयारी करते समय 100 किग्रा जिप्सम प्रति एकड़ के हिसाब से डालना चाहिए।
बरसीम की खेती में यूरिया का संतुलित प्रयोग करें
बरसीम में यूरिया का अंधाधुंध प्रयोग न करें। यूरिया का प्रयोग फसल कटाई के बाद ही करें। यदि आप बुवाई के समय एसएसपी का प्रयोग कर रहे हैं और गोबर नहीं लगाया है तो 25 किग्रा यूरिया प्रति एकड़ में डालें। यदि गोबर की खाद मिलाई गई हो तो बुआई के समय उसका प्रयोग न करें।