घर के आँगन में खुटा ठोककर करे इस खास नस्ल की बकरी पालन, कम निवेश में होगा डबल का फायदा, देखे डिटेल
हमारे देश में ज्यादातर किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन से भी अपनी आय बढ़ाते हैं. इसमें मुख्य रूप से बकरी और भेड़ पालन शामिल है. बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है. इसी वजह से इसे “चलता फिरता ATM” भी कहा जाता है. पशुपालन विशेषज्ञों की यह सलाह बकरी पालन करने वाले किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
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बुंदेलखंड में सिरोही बकरी की धूम
बुंदेलखंड क्षेत्र में राजस्थान की मुख्य नस्ल, सिरोही बकरी की सबसे ज्यादा पालन किया जाता है. इसकी खासियत यह है कि यह दूध, डेयरी उत्पादों और मांस के लिए भी अच्छी मानी जाती है. इसकी चमड़े की वस्तुओं की बाजार में काफी मांग है. इसका चमड़ा उच्च गुणवत्ता का होता है. वहीं दूसरी अगर हम बीटल नस्ल की बात करें तो यह नस्ल सबसे ज्यादा दूध देती है, इसलिए इसे गरीबों की गाय भी कहा जाता है. दरअसल, यह बकरी दूध देने के साथ-साथ मांस के लिए भी जानी जाती है, जिसकी बाजार में काफी डिमांड रहती है. इस बकरी को अमृतसरी बकरी के नाम से भी जाना जाता है.
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इन क्षेत्रों में हो रहा है बकरी पालन
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ. मनोज अहिरवार ने लोक 18 से विशेष बातचीत के दौरान बताया कि बुंदेलखंड क्षेत्र की गर्म जलवायु के कारण राजस्थान की सिरोही नस्ल यहां अच्छी तरह से जीवित रह पाती है. सागर, जबलपुर, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़ और दमोह जिलों के हाटा, मऊदा, टेंडूखेड़ा, चंदना, पलवा और देवरी खारी में इसका बहुत अच्छा पालन किया जा रहा है.
बकरी पालन में नस्ल का रखें ध्यान
बकरी पालन करते समय नस्लों का विशेष ध्यान रखना बहुत जरूरी है. कृषि विज्ञान केंद्र बेतूल से ढाई साल पहले सिरोही और गुदरी नस्लों को लाया गया था. इन नस्लों का कद बहुत अच्छा होता है और ये वजन बढ़ाती हैं, जो बाजार के लिए फायदेमंद है. ये नस्लें बुंदेलखंड की ठंड और गर्मी जैसे अलग-अलग जलवायु को सहने की क्षमता भी रखती हैं.