एवोकैडो की खेती देती है तगड़ा मुनाफा, भारत में लगातार बढ़ रही इस फल की मांग, बिक्री 500 रु किलो
एवोकैडो की खेती देती है तगड़ा मुनाफा, भारत में लगातार बढ़ रही इस फल की मांग, बिक्री 500 रु किलो ,एवोकैडो उन फलों में शामिल है जिनकी मांग हाल ही के दिनों में भारत जैसे देश में काफी ज्यादा बढ़ गई है।दरअसल, ये फल कई बीमारियों को ठीक कर पाने में कारगर पाया गया है। एवोकैडो का सेवन करने से कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं तो वहीं इससे कई प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए जाते हैंं। भारत मेंएवोकैडो की खेती पर भी अब विशेष ध्यान दिया जा रहा हैै।
एवोकैडो की खेती देती है तगड़ा मुनाफा, भारत में लगातार बढ़ रही इस फल की मांग, बिक्री 500 रु किलो
महाराष्ट्रर, मध्य प्रदेेश, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों के किसान एवोकैडो की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। आज के इस लेख में हम आपको एवोकैडो की खेती के लिए क्या-क्या जरूरी है और इससे कितना मुनाफा कमाया जा सकता है इसके बारे में बताएंगे।
ऐसे करे एवोकैडो खेती
एवोकैडो की खेती के लिए सबसे पहले जानना जरूरी है कि आखिर किस प्रकार के क्षेत्र में एवोकैडो की खेती की जा सकती है? तो आपको बता दें कि एवोकैडो की खेती के लिए गर्म क्षेत्र उपयुक्त होते हैं। वैसे क्षेत्र जहां अधिक ठंड पड़ती है और मौसम हमेशा ठंडा रहता है वहां एवोकैडो की खेती इतनी अच्छी नहीं हो पाती जिससे नुकसान झेलना पड़ता है। इसके अलावा इसकी खेती के लिए मिट्टी का स्तर 5 और 7 के बीच होना जरूरी है।
एवोकैडो की खेती एक लंबी प्रक्रिया है। एवोकैडो का पेड़ लगाने के 5 से 6 साल के बाद इसमें फल आते हैं। भले ही एवोकैडो की खेती में लंबा समय लगता है पर ये फल फायदा भी काफी अच्छा दिलाता है। एवोकैडो के फल बैगनी और हरे किस्म के होते है। एवोकैडो जब तक पेड़ से नहीं तोड़ा जाता तब तक वे कठोर होते हैं लेकिन पेड़ से तोड़े जाने के बाद यह नरम हो जाते हैं।
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एवोकैडो की खेती से कमाई
बात अगर एवोकैडो की खेती से होने वाली कमाई की करें तो ये उन्नत किस्म के प्रबंधन और पेड़ की उम्र पर निर्भर करता है। सामान्यत एवोकैडो का एक पेड़ 200 से 500 फल देता है। एवोकाडो का पेड़ जितना ज्यादा पुराना होगा उतनी ही ज्यादा फल देता है। खेती से लोग अच्छा पैसा कमा रहे हैं। भारत से एवोकैडो विदेशों में भी निर्यात किया जाने लगा है। एवोकैडो को व्यवसायिक फल के रूप में भी देखा जा रहा है। दरअसल, विदेशों में ये फल काफी बड़े स्तर पर प्रयोग किया जाता है। भारत में भी इस फल का प्रचलन अब काफी अधिक बढ़ गया है और ऐसे में बाजारों में इस फल की मांग बढ़ने से किसानों का भी ध्यान इस फल की ओर गया है।