टाटा ने फोर्ड से लिया अपमान का बदला फोर्ड को मानना पड़ा अहसान, टाटा के फैन एकदम खुश

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Tata Takeover Ford :टाटा ने फोर्ड से लिया अपमान का बदला फोर्ड को मानना पड़ा अहसान, टाटा के फैन एकदम खुश  टाटा मोटर्स (Tata Motors) आज भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे बड़े कार निर्माताओं में शुमार है. टाटा मोटर्स का बिजनेस भारत समेत कई देशों में फैला हुआ है. 90 के दशक से पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में एंट्री करने वाली टाटा मोटर्स के सामने एक वक्त ऐसा भी आया जब, उसे अपना बिजनेस बेचने के लिए अमेरिकी कंपनी फोर्ड (Ford) के पास जाना पड़ा था, यहां फोर्ड ने टाटा का बिजनेस खरीदने की पेशकश तो की, लेकिन अपमान भरे शब्दों से कुछ ऐसा कह दिया कि टाटा मोटर्स के लिए सब कुछ बदल गया. टाटा ने अपने अपमान का बदला कुछ इस अंदाज में लिया कि जानने के बाद आपका सिर गर्व से उठ जाएगा

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Tata Takeover Ford : टाटा की इलेक्ट्रिक व्हीकल यूनिट ने हाल ही में गुजरात स्थित फोर्ड के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का अधिग्रहण पूरा किया है. साल 2008 में टाटा ने फोर्स से जैगुआर और लैंडरोवर सीरीज खरीदकर उसे मुंह तोड़ जवाब दिया था

टाटा मोटर्स की बदले की ये कहानी इसलिए बता रहे हैं, क्योंकि भारतीय कंपनी ने एक बार फिर फोर्ड से बदला लिया है. टाटा की इलेक्ट्रिक व्हीकल यूनिट ने हाल ही में गुजरात स्थित फोर्ड के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का अधिग्रहण पूरा किया है. इससे पहले साल 2008 में टाटा ने फोर्स से जैगुआर (Jaguar) और लैंडरोवर (Land Rover) सीरीज खरीदकर उसे मुंह तोड़ जवाब दिया था.

तब बुरे दौर से गुजर रही थी टाटा मोटर्स
तो हुआ यूं था कि साल 1999 में जब टाटा ने इंडिका हैचबैक को अपने प्रमुख मॉडल के रूप में लॉन्च किया तो इसे भारतीय बाजार में उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिल पाई. कंपनी कार बेचकर ज्यादा लाभ नहीं कमा पा रहा थी. टाटा मोटर्स इस दौरान अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही थी. आखिर में टाटा ने पैसेंजर व्हीकल डिवीजन को बेचने का फैसला किया और टाटा ग्रुप के प्रमुख रतन टाटा अपनी टीम के साथ अमेरिका रवाना हो गए.

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जब रतन टाटा और अपनी टीम के साथ अमेरिका में उस समय के फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड से मिले तो उन्होंने अपनी टीम के सामने ही रतन टाटा को अपमानित किया और पूछा कि जब वे पैसेंजर व्हीकल के बारे में कुछ नहीं जानते तो इस बिजनेस में एंट्री क्यों की? बिल फोर्ड ने रतन टाटा से कहा था कि फोर्ड उनसे पैसेंजर कार डिवीजन खरीदकर टाटा पर एहसान कर रही है. बस यही बात रतन टाटा को नागवार गुजरी और उन्होंने मीटिंग से बिना कुछ कहे चले गए और उसी दिन अपनी टीम के साथ भारत वापस आ गए

टाटा ने फोर्ड से लिया अपमान का बदला फोर्ड को मानना पड़ा अहसान, टाटा के फैन एकदम खुश 2008 तक टाटा के लिए सब कुछ बदल गया
भारत लौटने के बाद रतन टाटा ने फैसला किया कि वे टाटा मोटर्स के पैसेंजर कार डिवीजन को फोर्ड को नहीं बेचेंगे. इसके बाद रतन टाटा और उनकी टीम ने चीजों को सुधारने पर काम करना शुरू कर दिया. उन्होंने कार डिवीजन पर ज्यादा ध्यान देना शुरू किया और जल्द ही उन्हें अच्छे नतीजे दिखने लगे. टाटा के नए मॉडल बाजार में आने लगे और साल 2008 के आते-आते टाटा मोटर्स भारतीय ग्राहकों और दुनिया भर में पसंदीदा कंपनियों में से एक बन गई. दूसरी ओर अमेरिकी मंदी के चलते फोर्ड का बुरा वक्त शुरू हो गया. इस दौरान कंपनी को भारी घाटे का सामना करना पड़ रहा था.

टाटा ने फोर्ड से लिया अपमान का बदला फोर्ड को मानना पड़ा अहसान, टाटा के फैन एकदम खुश
2008 में ही रतन टाटा ने फोर्ड से लैंड रोवर और जगुआर खरीदने की पेशकश की. किसी समय में ये फोर्ड की सबसे ज्यादा बिकने वाली कारें थीं, लेकिन इस दौर में ये बहुत घाटे से गुजर रही थीं. फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड रतन टाटा से मिलने के लिए अपनी टीम के साथ भारत आए और टाटा ने लैंड रोवर और जगुआर को खरीद लिया. मीटिंग के दौरान बिल फोर्ड ने कहा कि मिस्टर टाटा जगुआर और लैंड रोवर ब्रांड को खरीदकर फोर्ड पर बड़ा अहसान कर रहे हैं. वर्तमान में लैंड रोवर और जगुआर भारत और दुनिया भर में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं रही बात भारत में फोर्ड के बिजनेस की तो कंपनी भारतीय बाजार में कई समस्याओं का का सामना करना पड़ रहा था. नतीजा यह हुआ कि फोर्ड को साल 2021 में भारतीय बाजार को छोड़ना पड़ा. इसके बाद गुजरात में स्थित फोर्ड इंडिया के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को टाटा ने खरीद लिया. कहा जाता है कि रतन टाटा मीटिंग में बिल फोर्ड को उनके ही तरीके से आसानी से अपमानित कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. क्योंकि रतन टाटा का मानना है कि बदला लेने का सबसे अच्छा तरीका सफलता है

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