Cultivation of Isabgol इस बार खेत में लगायें ईसबगोल, होगा बम्पर मुनाफा!

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Cultivation of Isabgol भारत में औषधीय पौधों की खेती बहुत बढ़ गई है। कोरोना काल से औषधीय पौधों की मांग काफी बढ़ गई है, इन्हीं फसलों में से एक है इसबगोल। जिसका इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है। बाजार में भी इसकी काफी डिमांड है। इसके पौधों की पत्तियाँ धान के पौधों की तरह होती हैं। भारत में, इसकी खेती पंजाब, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर की जाती है। किसान भाई अपने खेत में ईसबगोल की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। आइए जानते हैं ईसबगोल की खेती के बारे में।

Cultivation of Isabgol

उपयुक्त मिट्टी और जलवायु- इसबगोल की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु की आवश्यकता होती है, इसके लिए अधिक वर्षा की आवश्यकता नहीं होती है। फसल पकने के दौरान बारिश के कारण इसकी उपज प्रभावित होती है। ईसबगोल की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। मिट्टी का पीएच मान सामान्य होना चाहिए। पौधों के विकास पर तापमान का विशेष प्रभाव पड़ता है। पौधों को वृद्धि के लिए प्रारम्भ में सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है। पौधों पर फलियों के आने के समय तापमान की अधिक आवश्यकता होती है। Cultivation of Isabgol

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इसबगोल की उन्नत किस्में-
जवाहर ईसबगोल 4-
यह किस्म रोपाई के 110 से 120 दिनों में तैयार हो जाती है, प्रति हेक्टेयर 15 क्विंटल तक उत्पादन देती है। Cultivation of Isabgol

आर.आई.89 – यह किस्म भी 120 दिनों में तैयार हो जाती है, उत्पादन 12 से 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर देखा जाता है। इसके पौधों का आकार एक से डेढ़ फुट तक होता है। Cultivation of Isabgol

गुजरात इसबगोल 2 – इस प्रकार का पौधा अधिकतर गुजरात में उगाया जाता है। प्रति हेक्टेयर 9 से 10 क्विंटल उत्पादन होता है। Cultivation of Isabgol

हरियाणा इसबगोल 5 – यह किस्म 90 से 110 दिनों के बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 10 क्विंटल है। Cultivation of Isabgol

आई. आई. 1- यह किस्म अधिक उपज के लिए विकसित की गई है। प्रति हेक्टेयर 12 से 16 क्विंटल उत्पादन होता है। यह किस्म 110 से 120 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। Cultivation of Isabgol

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खेत की तैयारी- ईसबगोल की खेती के लिए खेत की अच्छी तरह जुताई कर उसमें गोबर की खाद डालें। इसके बाद मिट्टी को जुताई करके छोड़ दें। जब पानी सूख जाए तो खेत की रोटावेटर चलाकर गहरी जुताई कर लें। इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी दिखने लगती है। ईसबगोल के बीजों की रोपाई खेत में समतल और मेड़ दोनों जगह की जा सकती है। Cultivation of Isabgol

बीज रोपाई का समय- आप इसबगोल के बीज नर्सरी या ऑनलाइन से खरीद सकते हैं। एक हेक्टेयर में चार से पांच किग्रा बीज की मात्रा उपयुक्त होती है। बीज बोने से पहले मेटालैक्सिल से बीज का उपचार करें। ईसबगोल के बीजों की रोपाई फ्लैट और मेड दोनों जगह की जा सकती है. समतल भूमि पर बीज बोने के लिए छिड़काव विधि का प्रयोग किया जाता है और मेड़ों पर रोपाई के लिए ड्रिल विधि का उपयोग किया जाता है। Cultivation of Isabgol

बुवाई का सही समय- बीज को सही समय पर बोना आवश्यक है। बीजों की बुआई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर के मध्य तक कर लेनी चाहिए। यदि इससे पहले या बाद में जल्दी या देर से बोई जाती हैं तो उपज कम और रोग प्रकोप अधिक होने की सम्भावना रहती है। Cultivation of Isabgol

सिंचाई- इसकी खेती में अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। बीज बोने के तुरन्त बाद हल्की सिंचाई कर दें, यदि बीजों का अंकुरण कम हो तो चार-पाँच दिन के बाद खेत में एक बार पुन: सिंचाई कर दें। बीजों के अंकुरण के बाद पौधों को कम पानी की आवश्यकता होती है। पहली सिंचाई अंकुरण के 30 से 35 दिन बाद करनी चाहिए, दूसरी सिंचाई पहली सिंचाई के लगभग 20 से 30 दिन बाद करनी चाहिए। Cultivation of Isabgol

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खाद की मात्रा- पौधों में गोबर की अच्छी खाद डालें। और रासायनिक खाद के रूप में एनपीके का एक बैग। मात्रा प्रति हेक्टेयर अंतिम जुताई के समय खेत में छिड़क दें। इसके साथ ही सिंचाई के समय 25 किग्रा नत्रजन का छिड़काव कर पौधों को देना चाहिए। Cultivation of Isabgol

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रोग उपचार- इसबगोल के पौधों पर मोयला और मृदुरोमिल आसिता देखी जाती है। इसकी रोकथाम के लिए पौधों पर उचित मात्रा में इमिडाक्लोप्रिड या ऑक्सी मिथाइल डेमेटन, कॉपर ऑक्सीक्लोराइड या मैंकोजेब का छिड़काव करना चाहिए। Cultivation of Isabgol

खरपतवार नियंत्रण – खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई की जाती है। रासायनिक उपचार के लिए बीज बोने के बाद उचित मात्रा में सल्फोसल्फ्यूरोन या आइसोप्रोट्यूरॉन का छिड़काव करना चाहिए। Cultivation of Isabgol

कटाई- पौधों की कटाई 110 से 120 दिनों के बाद की जाती है। पत्तियों के पीले होने और सूखने पर पौधों की कटाई की जाती है। पौधे की कटाई के बाद उसके दानों, बालियों को सुखाकर हाथ से कुचला जाता है, वहीं अगर फसल ज्यादा हो तो मशीनों की मदद ली जाती है. इसकी भूसी का उपयोग चारे के रूप में किया जाता है। Cultivation of Isabgol

उपज और लाभ- ईसबगोल की किस्में प्रति हेक्टेयर 10 से 15 क्विंटल उपज देती हैं। इसके दानों से प्राप्त भूसी की मात्रा 20 से 30 प्रतिशत तक पाई जाती है। इसके बीज का बाजार मूल्य 8 हजार के आसपास मिलता है। जबकि भूसी की भी अच्छी कीमत मिल जाती है। ऐसे में किसान भाई एक से डेढ़ लाख प्रति हेक्टेयर तक कमा सकते हैं। Cultivation of Isabgol

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