Cultivation of Sarpagandha 80 हजार रुपए खर्च कर शुरू करें सर्पगंधा की खेती, 4 हजार रुपए किलो बिक रहा है बीज

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Cultivation of Sarpagandha इन दिनों आयुर्वेदिक और हर्बल दवाओं की मांग बढ़ने से सर्पगंधा की भी मांग बढ़ गई है। अगर आप भी औषधीय पौधों की खेती करना चाहते हैं तो सर्पगंधा की खेती पारंपरिक खेती से बेहतर विकल्प है। सर्पगंधा की फसल 18 माह में तैयार हो जाती है। महज 80 हजार रुपये के करीब खर्च कर आप डेढ़ साल में 4-5 लाख रुपये कमा सकते हैं। सर्पगंधा के फल, तने, जड़ सभी का प्रयोग होता है, इसलिए लाभ अधिक होता है। इसकी खेती कर आप अमीर बन सकते हैं। तो आइए जानते हैं कैसे आप सर्पगंधा की फसल की खेती कर लाखों रुपए का मुनाफा कमा सकते हैं।

Cultivation of Sarpagandha

उपयुक्त मिट्टी और जलवायु
सर्पगंधा की खेती के लिए बलुई दोमट और काली कपासी मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। सर्पगंधा की खेती चिकनी दोमट मिट्टी, रेतीली दोमट मिट्टी और भारी मिट्टी आदि में भी की जाती है। नम और नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक पदार्थों से भरपूर और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में उगाने पर यह अच्छे परिणाम देती है। इसकी अच्छी वृद्धि के लिए मिट्टी का पीएच 4.6-6.5 होना चाहिए। सर्पगंधा की अच्छी उपज के लिए गर्म एवं अधिक आर्द्र जलवायु उपयुक्त होती है।

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सर्पगंधा की खेती

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जमीन की तैयारी
सर्पगंधा की खेती के लिए अच्छी तरह से तैयार भूमि की आवश्यकता होती है। मिट्टी ढीली होने तक बार-बार जुताई करें। हल से जोतने के बाद खाद, खाद मिट्टी में मिला दें।

खाद बनाना
सर्पगंधा की खेती के लिए उपजाऊ भूमि का ही चुनाव करें। खेत की तैयारी के समय 10 टन गोबर की खाद डालें और मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें। नाइट्रोजन 8 किग्रा (यूरिया 18 किग्रा), फास्फोरस 12 किग्रा (सिंगल सुपर फास्फेट 75 किग्रा), पोटाश 12 किग्रा (म्यूरेट ऑफ पोटाश 20 किग्रा) प्रति एकड़ खेत में डालें। सर्पगंधा के विकास के समय 8 किलो नाइट्रोजन दो बार डालें। पौधों की रोपाई के 15 से 20 दिन के अंदर निराई-गुड़ाई कर दें।

खेत की तैयारी
सर्पगंधा की खेती के लिए उपजाऊ भूमि का ही चुनाव करें। पौधों की रोपाई के 15 से 20 दिन के अंदर निराई-गुड़ाई कर दें। वर्षा होने पर 200 क्विंटल सड़ा हुआ गोबर प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिला दें। बिजाई के समय 45 किलो नत्रजन, 45 किलो फॉस्फोरस और 45 किलो पोटाश दें। 45 किग्रा नाइट्रोजन दो बार अक्टूबर व मार्च में दें। निराई-गुड़ाई करके खरपतवार निकाल दें। वर्षा शुरू होने तक 30 दिनों के अंतराल पर और सर्दियों में 45 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। सर्पगंधा की खेती बीज, जड़ और कलमों द्वारा की जाती है। नर्सरी में तैयार पौधों की रोपाई अगस्त में कर देनी चाहिए।

खेती का समय
इसकी खेती जून से अगस्त तक की जाती है। इसकी खेती के लिए 10 डिग्री सेंटीग्रेड से 38 डिग्री सेंटीग्रेड तक का तापमान बेहतर होता है।

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सिंचाई का सही समय
गर्मियों में हर महीने के अंतराल पर दो सिंचाई करें। शीत ऋतु में प्रत्येक माह के अन्तराल पर चार सिंचाई करें। गर्म शुष्क मौसम में हर पखवाड़े सिंचाई करें।

फसल की कटाई और उपज
पौधे लगाने के 2 से 3 साल बाद फसल खुदाई के लिए तैयार हो जाती है। फसल की खुदाई दिसम्बर माह में की जाती है। मुख्य रूप से जड़ों को तोड़ा जाता है। जड़ों की उचित मड़ाई के लिए, मड़ाई से पहले सिंचाई करें। सूखे जड़ों का उपयोग ताजा उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है। 1200-1800 मिमी तक वर्षा वाले क्षेत्रों में इसकी सफलतापूर्वक खेती की जा सकती है। RS1 किस्म में बीज की संख्या 50-60% होती है और इसकी सूखी जड़ की उपज 10 क्विंटल प्रति एकड़ तक होती है।

लाभ और लागत
सर्पगंधा की खेती से प्रति एकड़ 30 किलोग्राम तक बीज आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। बाजार में सर्पगंधा के बीज की कीमत 3-4 हजार रुपए प्रतिकिलो है। एक एकड़ में लगभग 25-30 क्विंटल सर्पगंधा का उत्पादन होता है और इसे 70-80 रुपये प्रति किलो बेचा जाता है। जानकारों के मुताबिक करीब 80 हजार रुपए खर्च कर किसान डेढ़ साल में 4-5 लाख रुपए कमा रहे हैं।

सर्पगंधा की विशेषता
बाजार में सर्पगंधा की अच्छी कीमत और कई तरह की दवाओं में इसके इस्तेमाल के कारण इसकी खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है. यह ब्लड प्रेशर को कम करता है। पेट दर्द और पेट के कीड़े मारने के लिए गोल मिर्च के साथ जड़ का काढ़ा दिया जाता है।

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