हरदा – बैतूल नेशनल हाइवे पर मिला अज्ञात शव,पीठ व कमर में गर्म सरिये के जले निशान

हरदा – बैतूल नेशनल हाइवे पर मिला अज्ञात शव,पीठ व कमर में गर्म सरिये के जले निशान
हरदा – दो दिन पहले खंडवा के आशापुर-बैतूल नेशनल हाइवे के पास 12 साल के एक अज्ञात बच्चे का शव मिला था। पुलिस ने शव की शिनाख्त की तो हरदा के चुरहट कलां गांव के हरिकिशन पिता हरिराम के रुप में उसकी पहचान हुई। पुलिस जांच में सामने आया कि बालक डायरिया (उल्टी-दस्त) पीड़ित था। उसके पिता ने खंडवा के जिला अस्पताल में इलाज कराया और बेटे के शव को जंगल में फेंक दिया। मृतक के शरीर पर पीठ व कमर में गर्म सरिये से दागने के निशान थे। इससे प्रतीत हुआ कि परिवार अंधविश्वास में मासूम की जान चली गई। घटना के बाद से पिता फरार है।
एसडीओपी रवींद्र वास्कले ने बताया कि 17 अगस्त की दोपहर पटाजन व लंगोटी गांव के बीच मिले 12 वर्षीय बच्चे के शव की शिनाख्त हरिकिशन पिता हरिराम (12) निवासी चुरहट कलां, रहटगांव (हरदा) के रूप में हुई। हरि किशन उलटी-दस्त से पीड़ित था। 16 अगस्त को हरिराम उसे अस्पताल में लेकर पहुंचा। वहां उसे भर्ती किया गया था। उसके बाद वह दूसरे ही दिन उसे जबर्दस्ती डिस्चार्ज करवाकर ले गया। पिता बेटे को बस स्टैंड लेकर गया जहां रोशनी की ओर जाने वाली राजीव बस में वे बैठ गए।
घटनास्थल का एसपी विवेकसिंह ने भी मुआयना किया था। बच्चे का शव जब घटनास्थल पर मिला तो वह डाइपर पहने था। उसकी पेंट दस फीट दूर मिली। जबकि, पीठ और कमर के नीचे गहरे जख्म थे। तब प्रतीत हुआ कि उसे गर्म सरिये से दागा भी गया था। यहीं वजह है कि अंधविश्वासी पिता ने रास्ते में ही उसका शव जंगल में फेंक दिया। उसे लगा कि यदि शव को घर ले गए तो यह बीमारी पूरे परिवार में फैल जाएगी। पुलिस हरिराम की तलाश में जुटी है।
आदिवासी इलाकों में गर्म सरिये से दागने की प्रथा
निमाड़ के खालवा, झिरन्या तथा हरदा जिले के आदिवासी इलाकों में बच्चों को उल्टी-दस्त या कुपोषण होने पर गर्म सरिये से दागने की प्रथा आज भी प्रचलित है। लेकिन सरकार व सिस्टम अब तक इस पर शिकंजा नहीं कस पाया। जिस 13 साल के बालक हरीकिशन को खंडवा के जिला अस्पताल में भर्ती कराया, उसके शरीर पर सरिये से दाग के निशान थे। अब देखना होगा कि पुलिस सरिये से दागने वाले तांत्रिकों पर क्या एक्शन लेती है।