किसानो को धनवान बना देगी धनिया की उन्नत किस्मे, कम समय में लाखो रूपये का बनाएगी मालिक, देखे पूरी खबर

0
किसानो को धनवान बना देगी धनिया की उन्नत किस्मे, कम समय में लाखो रूपये का बनाएगी मालिक, देखे पूरी खबर

किसानो को धनवान बना देगी धनिया की उन्नत किस्मे, कम समय में लाखो रूपये का बनाएगी मालिक, देखे पूरी खबर. आपकी जानकारी के लिए बता दे की मसाला फसलों में धनिया भी अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसकी खुशबू और स्वाद के कारण इसे सब्जी में मसालों के साथ प्रयोग में लाया जाता है. बाजार में हरा धनिया और धनिया के बीजो की मांग हमेशा हमेशा बनी रहती है. ऐसे में किसानों के लिए धनिये की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है। आइये जानते है इसने उन्नत किस्मो की खेती के बारे में।

यह भी पढ़े- Creta की लंका लगा देगी Maruti की भरोसेमंद कार Baleno, स्टाइलिश डिज़ाइन और प्रीमियम फीचर्स के साथ देखे कीमत

कुंभराज किस्म

आपकी जानकारी के लिए बता की इस किस्म के दाने छोटे आकार के होते हैं. पौधों में सफेद रंग के फूल आते हैं. पौधों की ऊंचाई मीडियम होती है. इस किस्म के पौधे उकठा रोग एवं भूतिया रोग के प्रति सहनशील है. फसल तैयार होने में 115 से 120 दिनों का समय लगता है. प्रति एकड़ खेत में खेती करने के लिए 5.6 से 6 क्विंटल तक पैदावार हो जाती है।

आर सी आर 41 किस्म

आपकी जानकारी के लिए बता दे की इस किस्म के दाने छोटे, टाल वैरायटी, गुलाबी फूल, उकठा एवं स्टेमगाल प्रतिरोधक, भभूतिया रोग से लड़ने में सक्षम होता है, पत्तियों के लिए उपयुक्त, 0.25 प्रतिशत तेल की मात्रा और फसल पकने की अवधि 130 से 140 दिन तथा उपज क्षमता 9 से 11 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन किया जा सकता है।

सिम्पो एस 33 किस्म

आपकी जानकारी के लिए बता दे की इस किस्म के पौधे मीडियम ऊंचाई के होते हैं। और दाने बड़े एवं अंडाकार होते हैं। फसल को पक कर तैयार होने में 140 से 150 दिन का समय लगता है। प्रति एकड़ भूमि में खेती करने पर 7.2 से 8 क्विंटल तक पैदावार होती है।

यह भी पढ़े- गरीबी दूर कर देगा गेंहू की बाली वाला 1 रूपये का अनोखा सिक्का, बस करना होगा ये छोटा सा काम

आर सी आर 446 किस्म

आपकी जानकारी के लिए बता दे की कम पानी वाले क्षेत्रों में खेती के लिए यह किस्म उचित मानी जाती है। इस किस्म के पौधे मध्यम ऊंचाई के होते हैं एवं शाखाएं सीधी होती हैं. दानों का आकार भी सामान्य होता है। इस किस्म के पौधों में पत्तियां अधिक आती हैं। हरी पत्तियां प्राप्त करने के लिए इस किस्म की खेती प्रमुखता से की जाती है. इस किस्म के पौधों में उकठा रोग, स्टेमगाल रोग एवं भभूतिया रोग का प्रकोप कम होता है. फसल को पक कर तैयार होने में 110 से 130 दिनों का समय लगता है. प्रति एकड़ खेत में खेती करने पर 4.1 से 5.2 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

बहुचर्चित खबरें