किसानो को मोटा मुनाफा करायेगी गेंहू और धान की नई किस्मे, देखे पूरी जानकरी

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किसानो को मोटा मुनाफा करायेगी गेंहू और धान की नई किस्मे, देखे पूरी जानकरी

किसानो को मोटा मुनाफा करायेगी गेंहू और धान की नई किस्मे, देखे पूरी जानकरी .भारत में खरीफ की फसल का मौसम चल रहा है। इस मौसम में अक्सर बड़े पैमाने पर धान की खेती की जाती है। मौसम की मार और भीषण गर्मी के बीच धान की पैदावार पर सबसे अधिक असर देखने को मिलता है। इस बीच प्रयागराज के शू ऑउट्स विभाग के वैज्ञानिकों ने धान की दो नई किस्में विकसित की हैं।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में मौसम का असर सबसे ज्यादा दिखाई देता है और तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। वहीं अगर सर्दी के मौसम की बात करें तो तापमान तीन डिग्री से नीचे पहुंच जाता है। जिसका असर धान की फसल की पैदावार पर सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई दो नई किस्मों से उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ-साथ सीजन के एक पखवाड़े में लगभग 20 दिन की बचत होगी।

कृषि वैज्ञानिक धान और गेहूँ की कई किस्मों पर शोध कर रहे हैं। यह शोध अनुसंधान निदेशक प्रोफेसर एसडी मैकार्टी के निर्देशन में किया जा रहा है। विभाग ने धान के साथ-साथ गेहूँ की भी दो नई किस्में विकसित की हैं। नई गेहूँ की किस्म AAI W-52 और धान की किस्म सुहानी धान-7 बेहतरीन पैदावार देने वाली है।

नई किस्मों की खासियत

गेहूँ प्रजनन वैज्ञानिक ने बताया कि गेहूँ की किस्म AAI W-52 किसानों को बेहतरीन पैदावार देने वाली है। इस किस्म की खास बात यह है कि यह कम सिंचाई और देरी से बुवाई के साथ भी उपयुक्त है। इस गेहूँ की किस्म 110 से 115 दिनों में पक जाती है और इसका पौधा 95 से 98 सेंटीमीटर लंबा होता है। अक्सर पारंपरिक प्रगति किस्म को पकने में 115 से 130 दिन का समय लगता है। इस गेहूँ की किस्म से आपको औसतन 43.94 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार मिलेगी। वहीं सामान्य गेहूँ से आपको 23 से 26 क्विंटल की पैदावार मिलती है।

वहीं धान की किस्म सुहानी धान-7 सिंचित क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है। धान की किस्म 125 से 130 दिनों में पक जाती है और इसके पौधे की ऊंचाई 85 से 95 सेंटीमीटर होती है। धान की पारंपरिक किस्म 22 क्विंटल तक की पैदावार देती है, जबकि यह किस्म आपको 44.40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार देगी।

प्रयागराज में उत्पादन

पिछले साल उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में 2.11 लाख हेक्टेयर में गेहूँ की बुवाई की गई थी। जिसका उत्पादन लगभग 4.50 लाख क्विंटल रहा। धान की फसल की बात करें तो इसकी खेती 1.71 लाख हेक्टेयर में की गई थी। जिसका उत्पादन 3.70 लाख क्विंटल रहा।

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