Business idea: टरैलिस विधि से कमाये 60 दिन में 10 लाख रुपये तक का मोटा मुनाफा, देखे पूरी खबर
Business idea: टरैलिस विधि से कमाये 60 दिन में 10 लाख रुपये तक का मोटा मुनाफा, देखे पूरी खबर। दौसा जिले के थूरी गांव से एक प्रेरणादायक कहानी लेकर आए हैं हम। यहां के अनुभवी किसान रामसर मीणा जी पिछले चार-पांच सालों से अपने डेढ़ एकड़ खेत में खीरे की खेती कर रहे हैं। रामसर जी ने मिट्टी की तैयारी से लेकर कीट प्रबंधन और अधिकतम उत्पादन तक, खीरे की खेती के अपने पूरे अनुभव हमारे साथ साझा किए।
क्यों चुनें ट्रेलिस विधि?
ट्रेलिस विधि में खीरे की बेलों को सहारा देकर ऊंचाई तक चढ़ने दिया जाता है। रामसर जी बताते हैं कि भारत में खीरे की खेती मुख्य रूप से तीन तरीकों से की जाती है:
- जमीनी विधि: इसमें बेलें जमीन पर फैलने दी जाती हैं।
- पंक्ति विधि: इसमें बेलों को खंभों का सहारा देकर चढ़ने दिया जाता है।
- ट्रेलिस विधि: इसमें बेलों को ट्रेलिस संरचना पर चढ़ने दिया जाता है।
मिट्टी की तैयारी
बीज बोने से 15 दिन पहले मिट्टी की तैयारी शुरू कर दी जाती है। रामसर जी 15×15 फीट की दूरी पर गड्ढे खोदते हैं और उसमें खाद, डीएपी और सल्फर मिलाते हैं ताकि जड़ों की बीमारियां न लगें। वे प्रत्येक गड्ढे में चार बीज बोते हैं और अंकुरण के बाद दो स्वस्थ पौधे छोड़ते हैं।
ट्रेलिस विधि के फायदे
रामसर जी के अनुसार, ट्रेलिस विधि के कई फायदे हैं:
- बीमारियां कम होती हैं: बेहतर हवादार होने से फंगल संक्रमण कम होता है।
- उत्पादन बढ़ता है: ऊंचाई पर उगने से पौधों को ज्यादा धूप मिलती है, जिससे फल अच्छे विकसित होते हैं।
- तोड़ने में आसानी: फल जमीन पर उगे हुए फलों की तुलना में अधिक पहुंच योग्य और साफ होते हैं।
खाद और कीट प्रबंधन
रामसर जी खाद के संतुलित मिश्रण पर जोर देते हैं, जिसमें डीएपी, यूरिया और जैविक खाद शामिल हैं। इसके अलावा, वे फंगल बीमारियों से बचने के लिए मिट्टी का उपचार फंगीसाइड से करते हैं।
कीट नियंत्रण के लिए रामसर जी रासायनिक स्प्रे का उपयोग करते हैं। वे सफेद मक्खी और एफिड्स जैसे सामान्य कीटों से निपटने के लिए 911 जैसे तेज अभिनय कीटनाशक का 20 मिलीलीटर/20 लीटर का छिड़काव करते हैं। स्वस्थ पौधों को बनाए रखने के लिए नियमित निरीक्षण और समय पर हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है।
वृद्धि और कटाई
बीज बोने के लगभग 45-50 दिनों बाद खीरे की बेलें कटाई के लिए तैयार हो जाती हैं। पीक उत्पादन की अवधि लगभग 45 दिनों तक रहती है, जिसमें रामसर जी रोजाना तीन टन खीरे की कटाई करते हैं। शुरुआती बाजार मूल्य लगभग ₹40 प्रति किलो होता है, जो मांग और आपूर्ति के आधार पर बदल सकता है।
- वृद्धि चरण | अवधि (दिनों में) | मुख्य गतिविधियां
- अंकुरण | 7-10 | बीज का अंकुरण और शुरुआती वृद्धि
- वानस्पतिक वृद्धि | 20-30 | पत्तियों और बेलों का विकास
- फूलना और फलना | 45-50 | फूलना शुरू होता है, उसके बाद फल लगते हैं
- पीक उत्पादन | 45 (50 दिनों के बाद) | पके हुए खीरे की रोजाना कटाई
नए खीरे किसानों के लिए मुख्य टिप्स
- मिट्टी की तैयारी से शुरू करें: सुनिश्चित करें कि मिट्टी जैविक खाद और आवश्यक खादों से अच्छी तरह तैयार है।
- ट्रेलिस विधि अपनाएं: यह विधि बेहतर उपज और रोग प्रबंधन प्रदान करती है।
- नियमित निगरानी करें: पौधों की दैनिक जांच जरूरी है ताकि बीमारियों और कीटों को समय पर पकड़ा और नियंत्रित किया जा सके।
- समय पर खाद और कीट नियंत्रण: पौधे के स्वास्थ्य और उत्पादकता को बनाए रखने के लिए उपयुक्त खाद और कीटनाशकों का उपयोग करें।
- बाजार के बारे में जानकारी रखें: अधिकतम लाभ के लिए बाजार की स्थितियों के बारे में जागरूक रहें।
रामसर जी का सफलता मंत्र
रामसर जी एक मूल्यवान सलाह देते हैं: “किसानों को अपनी फसलों के संरक्षक बनना चाहिए, उनकी लगातार निगरानी और देखभाल करनी चाहिए। सही तकनीकों और समर्पण के साथ, डेढ़ एकड़ से ₹10 लाख का मुनाफा कमाना बहुत संभव है।”