इस सीजन धान की ये टॉप किस्मे मचायेंगी तूफ़ान, कम खर्चे में होगा रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन
किसान खरीफ सीजन में धान की खेती तो करते ही हैं, लेकिन पानी की कमी इन दिनों एक बड़ी चुनौती बन गई है. लगातार गिरते भूजल स्तर को देखते हुए कृषि वैज्ञानिक सीधी बुवाई वाली बासमती धान की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. आज हम आपको उन्हीं किस्मों के बारे में बताएंगे जो कम पानी में सीधी बुवाई से अच्छी पैदावार देती हैं.
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रोग प्रतिरोधी पूसा बासमती किस्म PB-1847
पूसा बासमती धान -1509 का उन्नत रूप है PB-1847. ये किस्म बlight रोग और झोंका रोग के लिए प्रतिरोधी है. किसानों के बीच ये काफी लोकप्रिय किस्म है. एक एकड़ में इसकी पैदावार 25 से 32 क्विंटल तक होती है.
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अ untimely बारिश सहने वाली पूसा बासमती PB-1401
बेमौसम बारिश को भी सहने की क्षमता रखती है PB-1401. पकने के बाद भी ये गिरती नहीं है. ये एक अर्ध-बौनी किस्म है. 135 से 140 दिनों में ये पककर तैयार हो जाती है. प्रति हेक्टेयर इसकी पैदावार 40 से 50 क्विंटल तक होती है. इसकी बुवाई 21 जून से 20 जुलाई के बीच की जा सकती है. पकने के बाद भी इसके दाने सुरक्षित रहते हैं. बासमती की पसंदीदा किस्मों में से एक है ये.
सीमित सिंचाई के लिए उपयुक्त पूसा बासमती PB 1509
अगर आपके पास धान की खेती के लिए सिंचाई के सीमित साधन हैं, तो आप पूसा बासमती PB 1509 किस्म का चुनाव कर सकते हैं. इसकी गुणवत्ता काफी अच्छी होती है. इस किस्म के पौधे बौने ही रहते हैं. PB-1509 बासमती 1 एकड़ में 25 से 28 क्विंटल तक की पैदावार देती है. खास बात ये है कि इसकी रिकवरी बहुत अच्छी होती है. जिस वजह से व्यापारियों को ये काफी पसंद आती है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी इसके चावल की काफी डिमांड रहती है.
हरियाणा और उत्तराखंड के लिए बेहतरीन पूसा बासमती PB-1886
150 से 155 दिनों में पकने वाली पूसा बासमती PB-1886 की कटाई अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में कर लेनी चाहिए. ये बासमती किस्म बlight और झोंका रोग के लिए प्रतिरोधी है. हरियाणा और उत्तराखंड के लिए ये किस्म सबसे उपयुक्त है. इसकी बुवाई 1 जून से 15 जून के बीच की जा सकती है. ये किस्म एक हेक्टेयर में लगभग 50 क्विंटल तक की पैदावार देती है.
बैक्टीरियल ब्लाइट रोग से लड़ने वाली पूसा बासमती PB 1728
बक्टीरियल ब्लाइट रोग से लड़ने की क्षमता रखती है PB 1728. ये किस्म पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में उगाई जाती है. इसकी बुवाई 20 से 22 जून के बीच की जाती है. खास बात ये है कि 1 एकड़ में इसकी बुवाई के लिए 5 किलो बीज की जरूरत होती है. ये किस्म प्रति एकड़ 24 से 25 क्विंटल तक की पैदावार देती है